साल 2010 और 2015 में जनता दल यूनाइटेड
वर्ष 2015 यानी उप मुख्यमंत्री पद के कारण कहीं नीतीश 6 माह बाद बीजेपी के साथ नहीं आ जाए ! बिहार विधान सभा चुनाव-2010 में जेडीयू ने 117 जीता था, इसबार मात्र 71 ; उसबार बीजेपी को 90 मिला था और इसबार 53 ; आप बताएँ जेडीयू घाटे में है या बीजेपी । ज्ञात हो, 243 विधायकों में एक रॉबिनहुड छवि लिए विधायक बलरामपुर क्षेत्र से महबूब आलम है । कहने को वे माले से है, पर वे अपने आप काफी है ।
एक हारे हुए निर्दलीय प्रत्याशी एकमात्र कुम्हार जाति से उम्मीदवार सुदर्शन पॉल है, जो हर बार प्राणपुर विधान सभा क्षेत्र से 20,000 से अधिक वोट लाया है। वर्ष 2020 में 6,000 से अधिक वोट लाकर स्वर्गीय हो गए ! पर कोई भी राजनीतिक पार्टी निरीह जाति में उनके होने के कारण टिकट तक नहीं देते हैं । कांग्रेस (एल = लालू ) से उम्मीद लगाना चाहिए, 6 महीने तक । नीतीश जी डिमोशन में है । अबकी बिहार में जो सरकार बनेगी, वो कांग्रेस (एल) की सरकार होगी । अनुभव से लचर माइनस है – मीसा, तेजस्वी, तेजप्रताप।
अगर उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाये जाते हैं ,तो नीतीश बाबा के लिए सुशील मोदी ही बेस्ट था । इससे अब्दुल बारी सिद्दीकी का डिमोशन तय है । वंशवाद की अनोखी शुरूआत है । जब -जब “उप”बनता है, इससे मुख्यमंत्री का कमजोरपनबोधित होता है । मुझे लगता है , लालू का नीतीश से मिलन पहले एक कल्पना था, परंतु अब ये सच्चाई है ।उसी भाँति नीतीश और सुशील मोदी का मिलान एक सच्चाई हो सकता है, यानी 71+53=124 एक स्वस्थ सरकार का उदय हो सकता है , देखते रहिये। क्योंकि राजनीति में न स्थायी दोस्त होता है, न दुश्मन।