मुक्तक/दोहा

शुभ हो नूतन वर्ष

नया साल लो आ रहा, लेकर सुख दुख गीत,
दूजों का दुख बाँट के ,दो उनको सुख मीत।

कुछ को लगता है भला ,कुछ को देता पीर ,
होती है नव साल की, अलग अलग तासीर।

नए साल ने खोल दी ,खुशियों की दूकान ,
जिसको जितना चाहिए ,ले जाओ श्रीमान।

सबको सुख सुविधा मिले ,सबका हो उत्कर्ष ,
खुशियों की कलियाँ खिलें ,शुभ हो नूतन वर्ष।

ये गुलाब की पंखुड़ी ,करती है मनुहार ,
नए साल जी दीजिये ,सबको ख़ुशी बहार ।

नवल वर्ष अब आ गया ,लेकर ख़ुशी बहार ,
आओ सब स्वागत करें, उसका बारम्बार।

नए साल में आपको,खुशियां मिले अपार,
खिलते हुए गुलाब से,जीवन हो गुलजार।

–महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

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