बाल कविता

नदी बहती है –बाल कविता

कल कल प्यारी नदिया बहती,
चलते चलते वो कुछ कहती,
झूम झूम के चलना है जीवन,
पथ की बाधाएँ कभी न सहती।

मेले लगते उसके तट पे ,
जल उसका है अमृत धारा।

लघु लघु जब धाराएं मिलती,
वृहद रूप में फिर वो खिलती,
चांदी जैसी चकमक करती है,
जब रवि रश्मि उस पे पड़ती।

प्यास बुझाती है वो हरदम
जन जन की वो जीवन धारा।

सागर से मिलने को पगलाई ,
कभी हँसी कभी वो सकुचाई,
ख़ुशी बिखेरे चलते चलते,
सबसे उसने खुशियां पाई।

चलते जाना कभी न रुकना ,
कहे सदा ही नदिया धारा।
— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328