सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक
मन को हरते है सदा, मीठे मीठे बोल।
बोल अनोखी चाशनी, रिश्तों में दे घोल ।।
घोल प्रेम संसार में , कटुता का कर त्याग।
त्याग दिये जो स्वार्थ को, मिले प्रेम अनमोल ।।
— साधना सिंह ‘शिवा’
मन को हरते है सदा, मीठे मीठे बोल।
बोल अनोखी चाशनी, रिश्तों में दे घोल ।।
घोल प्रेम संसार में , कटुता का कर त्याग।
त्याग दिये जो स्वार्थ को, मिले प्रेम अनमोल ।।
— साधना सिंह ‘शिवा’