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रोड शो- 18 : बातें अद्भुत डर की

आज बातें अद्भुत डर की करते हैं.

अद्भुत डर से पहले बात हमारे पाठकों द्वारा ब्लॉग ‘रोड शो- 17 : बातें अद्भुत सुर्खियों की’ के कामेंट्स में भेजी गई अद्भुत खबरों की-

हमेशा की तरह सुदर्शन खन्ना ने ढेर सारी अद्भुत खबरें भेजी हैं-
1.कराची पाकिस्तान के सोल्जर बाजार में पन्द्रह सौ वर्ष पुराना पंचमुखी हनुमान मंदिर, यह विशिष्ट मंदिर है जहाँ हनुमान जी की प्राकृतिक मूर्ति है निर्मित मूर्ति नहीं।

2.ऐतिहासिक किलों के शहर ग्वालियर और ओरछा को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर नगर घोषित किया गया

3.महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर सादर नमन तमिल भाषा के महाकवि सुब्रमण्यम भारती ऐसे साहित्यकार थे जो सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे जबकि उनकी रचनाओं से प्रेरित होकर दक्षिण भारत में बड़ी तादाद में आम लोग आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।भारती देश के महान कवियों में एक थे जिनकी पकड़ हिंदी बंगाली संस्कृत अंग्रेजी सहित कई भाषाओं पर थी पर तमिल उनके लिए सबसे प्रिय और मीठी भाषा थी। वह उन कुछ साहित्यकारों में थे जिनका गद्य और पद्य दोनों विधाओं पर समान अधिकार था।भारती का जन्म 11 दिसंबर 1882 को एक तमिल गाँव में हुआ था। शुरू से ही वह विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और कम समय में ही उन्होंने संगीत का अच्छा ज्ञान हासिल कर लिया था। 11 साल की उम्र में उन्हें कवियों के एक सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था जहाँ उनकी प्रतिभा को देखते हुए भारती ज्ञान की देवी सरस्वती का खिताब दिया गया।भारती जब छोटे ही थे तभी माता का निधन हो गया। बाद में पिता का भी जल्दी निधन हो गया। वह कम उम्र में ही वाराणसी गए थे जहाँ उनका परिचय अध्यात्म और राष्ट्रवाद से हुआ। इसका उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा और कुछ हद तक उनकी सोच में बदलाव ला दिया।बाद के दिनों में भारती ने ज्ञान के महत्व को समझा और पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने काफी दिलचस्पी ली। इस दौरान वह कई समाचार पत्रों के प्रकाशन और संपादन से जुड़े रहे। इन समाचार पत्रों में तमिल दैनिक स्वदेश मित्रम तमिल साप्ताहिक इंडिया और अंगेजी साप्ताहिक बाला भारतम शामिल है। इन पत्रों से न सिर्फ वह लोगों को अपेक्षित ज्ञान दिलाने में सफल रहे बल्कि उनकी रचनाओं का भी प्रकाशन हुआ। उसी समय उनकी रचनाधर्मिता चरम पर थी। उनकी रचनाओं में एक ओर जहाँ गूढ़ धार्मिक बातें होती थी वहीं रूस और फ्रांस की क्रांति तक की जानकारी होती थी। वह समाज के वंचित वर्ग और निर्धन लोगों की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहते थे।भारती 1907 की ऐतिहासिक सूरत कांग्रेस में शामिल हुए थे जिसने नरमदल और गरमदल के बीच की तस्वीर स्पष्ट कर दी थी। भारती ने तिलक अरविन्द तथा अन्य नेताओं के गरम दल का समर्थन किया था। इसके बाद वह पूरी तरह से लेखन और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो गए। कई भाषाओं के थे जानकारउन्होंने अपनी किताब गीतांजलि, जन्मभूमि और पांचाली सप्तम में आधुनिक तमिल शैली का इस्तेमाल किया, जिससे उनकी भाषा जनसाधारण के लिए बेहद आसान हो गई. भारती कई भाषाओं के जानकार थे. उनकीपकड़ हिन्दी, बंगाली, संस्कृत और अंग्रेजी सहित कई भारतीय भाषाओं पर थी. वे तमिल को सबसे मीठी बोली वाली भाषा मानते थे.भारती का योगदान साहित्य के क्षेत्र में तो महत्वपूर्ण है ही, उन्होंने पत्रकारिता के लिए भी काफी काम और त्याग किया. उन्होंने ‘इंडिया’, ‘विजय’ और ‘तमिल डेली’ का संपादन किया. भारती देश के पहले ऐसे पत्रकार माने जाते हैं जिन्होंने अपने अखबार में प्रहसन और राजनीतिक कार्टूनों को जगह दी.प्रमुख रचनाएं’स्वदेश गीतांगल’ और ‘जन्मभूमि’ उनके देशभिक्तपूर्ण काव्य माने जाते हैं, जिनमें राष्ट्रप्रेम और ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति ललकार के भाव मौजूद हैं. साथ ही उनकी प्रमुख रचनाएं हैं- तेचिय कीतंकळ् (देशभक्ति गीत), विनायकर् नान्मणिमालै, पारतियार् पकवत्कीतै, पतंचलियोकचूत्तिरम्. उनकी अनूदित रचनाएं हैं- यह है भारत देश हमारा, वन्दे मातरम, आजादी का एक ‘पल्लु’, निर्भय. महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती पर सुदर्शन भाई ने सुब्रमण्यम भारती के साहित्यकार और स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी रूपों का विस्तृत वर्णन किया है, इसे भी आप रोड शो- 17 : बातें अद्भुत सुर्खियों की के कामेंट्स में पढ़ सकते हैं.

4.राष्ट्रवादी धारा की शान ऐ मेरे वतन के लोगों, अमर गीत के रचयिता कवि प्रदीप की पुण्यतिथि पर सुदर्शन भाई ने कवि प्रदीप के बारे में कामेंट्स में विस्तृत विवरण लिख भेजा है. प्रदीप का वास्तविक नाम रामचन्द्र नारायण दिवेदी था, किन्तु एक बार हिमांशु राय ने कहा कि ये रेलगाड़ी जैसा लम्बा नाम ठीक नही है, तभी से उन्होंने अपना नाम प्रदीप रख लिया। प्रदीप नाम के पीछे उनके जीवन का एक रोचक प्रसंग भी है। उन दिनों मुम्बई में अभिनेता और कलाकार प्रदीप कुमार भी प्रसिद्ध हो रहे थे, जिस कारण अक्सर गलती से डाकिया कवि प्रदीप की चिठ्ठी अभिनेता प्रदीप के पते पर डाल देता था। डाकिया सही पते पर पत्र दे, इस वजह से उन्होंने प्रदीप के पहले ‘कवि’ शब्द जोड़ दिया और यहीं से कवि प्रदीप के नाम से वे प्रख्यात हुए।
सुदर्शन भाई ने कवि प्रदीप के अद्भुत साहित्यिक और फिल्मी सफर के संबंध में अनेक कामेंट्स में लिख भेजा है. विस्तृत खबर आप रोड शो- 17 : बातें अद्भुत सुर्खियों की के कामेंट्स में पढ़ सकते हैं.

5 .सुदर्शन खन्ना भाई ने मेल द्वारा 100 स्वास्थ्य नुस्खे भेजे हैं, जिन्हें हर रोज आपके समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. सुदर्शन भाई द्वारा प्रेषित सबके जानकर किसी योग्य चिकित्सक के परामर्श से मानने योग्य 5 स्वास्थ्य-नुस्खे भाग- 3
11. जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. जुकाम – जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. ताम्बे का पानी – प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14. किडनी – भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।

रविंदर सूदन-
1.कछुए के दाँत नहीं होते
2.ऊँट भी इंसानों की तरह थूक सकते हैं
3. सूअर दुनिया के चौथे सबसे समझदार जानवर हैं
4. मगरमच्छ की जीभ उसके मुँह के ऊपरी हिस्से से चिपकी हुई होती है, ना ही मगरमच्छ की जीभ हिलती है और ना ही वो चबाने में मदद करती है लेकिन उससे बनने वाली लार स्टील और काँच तक को गला देती है
5. फ़्रांस की राजधानी पेरिस में जितने व्यक्ति हैं उससे कहीं ज्यादा संख्या में कुत्ते हैं
6. न्यूज़ीलैंड ऐसा देश है जहाँ 40 मिलियन लोग हैं और करीब 70 मिलियन भेड़ हैं 7. चींटी सोती नहीं हैं
8. कॉकरोच बिना सिर के भी 9 दिनों तक जिन्दा रह सकता है
9. जिराफ की जीभ 21 इंच तक लम्बी होती है, अपनी जीभ से जिराफ अपने कान तक साफ कर लेते हैं
10. बिना पानी के, चूहा ऊँट से भी ज्यादा दिन जिन्दा रह सकता है.

इसके अतिरिक्त रविंदर सूदन जी ने अनेक कामेंट्स में एक अद्भुत खबर भेजी है-
दुनिया की आख़िरी सड़क यानि द लास्ट रोड आफ द अर्थ दुनिया की आख़िरी सड़क है, जिसके बाद दुनिया समाप्त हो जाती है. उत्तरी ध्रुव यानि नार्थ पोल पृथ्वी का सबसे सुदूर विन्दु है. इस स्थान पर पृथ्वी की धुरी घूमती है. यह आखिरी छोर है नार्वे का. इसके आगे जाने वाले रास्ते को दुनिया की आख़िरी सड़क कहा जाता है. यह एक हाइवे है. विस्तृत खबर आप रोड शो- 17 : बातें अद्भुत सुर्खियों की के कामेंट्स में पढ़ सकते हैं.

रविंदर सूदन भाई ने ब्लॉग ”सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 22” में धुंध और जिंदगी पर जबरदस्त शायरी लिख भेजी है, जिसे किसी सदाबहार कैलेंडर के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.

इंद्रेश उनियाल-
इसरो की साइबर हिन्दी प्रतियोगिता में उत्तराखंड के दूरस्थ चमोली ज़िले की समीक्षा जोशी ने प्रथम स्थान पाप्त किया.

अब बातें अद्भुत डर की-
1.नेपोलियन को बिल्ली से डर लगता था
नेपोलियन इतना बहादुर आदमी था कि अगर शेर सामने आ जाए, तो वो पीठ न दिखाए, लेकिन बिल्ली से नेपोलियन डर जाता था।
छोटा था, छ: महीने का, तब एक जंगली बिल्ली उसकी छाती पे चढ़ गई। उसने कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। नौकर ने आके बिल्ली को हटा दिया।
लेकिन छ: महीने के नेपोलियन के मन पर बिल्ली की एक बड़ी भयानक तस्वीर बन गई। उसे याद भी नहीं रहा कि कभी बिल्ली मेरे ऊपर चढ़ी थी। छ: महीने की कौन सी याद रहती है। लेकिन चित्‍त के अचेतन हिस्सों में, अनकांशस में बिल्ली बैठी रह गई।
नेपोलियन इतना बड़ा बहादुर सिपाही हो गया, लेकिन बिल्ली अगर कोई सामने ले आए, तो उसके हाथ-पैर कँप जाते थे।
जिस युद्ध में नेपोलियन हारा, शायद तुम्हें पता न हो, उसका जो दुश्मन था, नेल्सन, वो सत्‍तर बिल्लियाँ अपनी फ़ौज के सामने बाँधके ले आया था। जैसे ही नेपोलियन ने बिल्लियाँ देखीं, उसके हाथ–पैर कँप गए। और उसने अपने बगल के सैनिक को कहा, “आज जीत मुश्किल है।”
और वो पहली हार थी उसकी, उसके पहले वो कभी नहीं हारा। इतनी छोटी सी बात, इतना परिणाम ला सकती है!

2.मामूली चीजों से डरता था हिटलर
हिटलर ने भले ही आतंक का साम्राज्य कायम किया हो लेकिन खुद भी डरता था। मामूली चीजों से। उनमें से एक है बिल्ली। वैसे सिकंदर, नेपोलियन, मुसोलिनी और हिटलर इन सभी को बिल्ली से डर लगता था। वह दूसरे के हाथ में ब्लेड देखकर डर लगता था। वह बाल कटाने और दाढ़ी बनवाने से भी डरता था और खूब चिल्लाता था। उसे ऐसा लगता था कि लोग उसकी जान लेना चाहते हैं। इस डर की वजह से वह अपनी दाढ़ी खुद बनाता था। हिटलर नहीं चाहता था कि कोई उसके गले के पास ब्लेड लेकर आए।
अंधेरे से भी डरता था हिटलर-
हिटलर को अंधेरे से डर लगता था जिसके चलते वह देर रात में सोने के बजाय सुबह 4 से 5 बजे सोता था और 11 बजे सोकर उठता था। बेड पर जाने से पहले अपनी मेड से बिस्तर चेक करने को कहता था। बताया जाता है कि उसे अनजान चीजों का डर था।
हिटलर की अद्भुत मूंछों का राज-
पहले विश्व युद्ध का समय था। हिटलर एक खंदक में फंसा हुआ था। उस समय ही गैस अटैक हो गया। उस वक्त उस की मूंछें बड़ी थीं। गैस से बचने के लिए उसने जो गैस मास्क लगाई, वह मूंछों में फंस गई और मास्क को उतारने के लिए काफी जद्दो-जहद करनी पड़ी। इस घटना के बाद उसने अपनी मूंछें दोनों तरफ से कटवा लीं।

मां-बेटी को समुद्र किनारे मिला ‘पत्थर’, घर लाकर रखा तो हुआ धमाका—-
यह सुर्खी डरने और सीख देने वाली है. मां-बेटी को समुद्र किनारे मिला ‘पत्थर’असल में World War II का एक ग्रेनेड निकलेगा। उन्हें इस बात का पता तब वह पत्थर उनके किचन में फट गया.

सीख- हर अद्भुत पत्थर हीरा नहीं होता.

कुछ अद्भुत सुर्खियां-
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अद्भुत मदद-
1140Cr की लगी लॉटरी, आधी रकम से कर दी दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, Frances Conolly ने 115 मिलियन यूरो की लॉटरी जीती। भारतीय करंसी के हिसाब से तकरीबन 1140 करोड़ रुपये। इस सारे पैसे को उन्होंने सिर्फ अपने तक नहीं रखा। बल्कि इससे उन्होंने लोगों की मदद की। उन्होंने अपने पति पैट्रिक के साथ मिलकर 60 मिलियन यूरो जरूरतमंदों में बांट दिए।
इसमें उन्होंने 50 दोस्तों और परिवारों के नाम लिखे। लेकिन अंत में कुल मिलाकर उन्होंने 175 परिवारों की मदद की। यहां तक कि उन्होंने जिन लोगों की मदद की उनके इंश्योरेंस भी करवाए। Conolly ने बताया कि उन्हें सोना खरीदने से अच्छा लगा कि लोगों की जिंदगियां बदली जाएं। उन्होंने हाल ही में 1000 लोगों के लिए गिफ्ट भी खरीदें हैं। ये वो उन्हें देंगी जो क्रिसमस के दौरान अस्पतालों में होंगे।

जिन बातों से हमें डरना चाहिए, उनसे तो हम डरते नहीं हैं, तभी तो हम बेखौफ होकर बिना मास्क के घूमते हैं. सोधल डिस्टैंस का भी ध्यान नहीं रखते. मोबाइल के अधिकाधिक प्रयोग से भी हम नहीं डरते. एक पांच साल का बच्चा मोबाइल का इतना प्रयोग करता है, कि उसका नर्वस सिस्टम बिगड़ गया है. वह सीधा खड़ा नहीं हो पाता. ऐसा लगता है कि वह गिरने-पड़ने का अभिनय कर रहा है या उसने कोई नशा कर रखा है. अति सर्वत्र वर्जयेत. बुरी आदतों से डरना चाहिए.

बातें अद्भुत डर की और भी बहुत-सी हैं, आज बस इतना ही. शेष बातें फिर कभी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “रोड शो- 18 : बातें अद्भुत डर की

  • लीला तिवानी

    गाड़ी की तरफ झपटा बाघ, लोगों ने भगाने के लिए अपनाई ‘देसी तरकीब’——यह तरकीब थी डर में मुंह से निकले शब्द ‘हाड़-हाड़;; की जो असल में शेर-चीते को बचाने वाली देसी तरकीब है.

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