गजल
आपका ग़म लेकर साल नया है आया
भुले हुए यार की मुझको याद दिला गया
जहां में क्या अब खुशी मनाऊं उदासी लेकर
हंसी के दौर वो कितना मुझे रूला गया
खताएं मेरी सारी है हूं मैं ही गुनाहगार उसका
पास मेरे आकर के मुझको ये बता गया
है मेरे यार मुझे जान से बढ़कर वो
जाने क्या बात हुई जो मुझे सता गया