मन का मीत
भावो के उद्गार से बन जाते हैं गीत,
जो मन को अच्छा लगे वही है मन का मीत|
निकल डगर पर मैं चली जहां प्रीत की रीत,
प्रेम भरे एहसास से बन गया जो मनमीत|
उस दिन से जीवन मेरा बन गया एक संगीत,
ह्रदय प्रफुल्लित हो गया पाकर तेरी प्रीत|
हर दिन एक त्यौहार सा और सावन के गीत,
सतरंगी जीवन लगे जब से पाई प्रीत|
नवजीवन मुझको मिला बधी प्रीत की रीत,
“रीत” कहे मनमीत बिन कुछ ना भाए मीत|
— रीता तिवारी “रीत”