बाल कविता

बाल कविता

सुनो न मम्मी बात ज़रा सी
देखो मुझको हो गई खांसी

ये दुख भी क्या कम है मेरा
जमा हुआ बलग़म है मेरा

कुछ -कुछ देखो सर्दी भी है
नाक से आता पानी भी है

दर्द भी रुक कर बढ़ जाता है
शाम में फीवर में चढ़ जाता है

ये सब सुनकर बोली मम्मी
गुस्से में मुंह खोली मम्मी

और शाम तक खेलने जाओ
मफलर, टोपी नहीं लगाओ

पीते हो तुम फ्रिज का पानी
ज़िद में करते हो मनमानी

तौर -तरीके से जो चलोगे
कभी न तुम बीमार पड़ोगे

— डा जियाउर रहमान जाफरी

डॉ. जियाउर रहमान जाफरी

जन्म -मुज़फ़रा, बेगूसराय -हिन्दी, अंग्रेजी, शिक्षा शास्त्र में एम ए, बी एड, और परकारिता, हिन्दी से पीएच डी -खुले दरीचे की खुशबू खुशबू छू कर आई है परवीन शाकिर की शायरी चाँद हमारी मुट्ठी में है मैं आपी से नहीं बोलती लड़की तब हंसती है (संपादन ) .......आदि पुस्तकें प्रकाशित -हिन्दी, उर्दू, और मैथिली की पत्र पत्रिकाओं में नियमित लेखन -बिहार सरकार का आपदा प्रबंधन लेखन पुरुस्कार प्राप्त -आकाशवाणी और टीवी चैनल्स में नियमित प्रसारण -फिलवक़्त -बिहार सरकार में अध्यापन संपर्क -माफ़ी, अस्थावां, नालंदा, बिहार 8031071 मो- 9934847941, 6205254255