हाइकु/सेदोका शायर प्रवीण माटी 06/03/2021 तमाम बुरे हालातों में मैं कभी झुका नहीं अपनी मंजिल के रास्ते पर हूं कभी रुका नहीं दिल की महफिल अभी भी आबाद रखता हूं मैं वो शायर हूं जो कभी कहीं लूटा नहीं