चिंतामुक्त
पुरुष तो
वीर्य डालकर
चिंतामुक्त हो जाते हैं,
किंतु उसके बाद का
कष्ट
‘महिला’ झेलती है…
सिर्फ शुभकामनाएँ
कह देने से क्या होगा ?
दिल टूटने के बाद तो
कई जिंदगियाँ हैं,
वहीं जुटने के बाद तो
सिर्फ़ एक है !
महिलाओं को
सम्मान का
उत्तम उदाहरण-
‘जब सभी पुरुष
कुँवारे रहेंगे
और उसे स्पर्श तक
नहीं करेंगे !’
बहन, बेटी,
प्रेमिका, पत्नी
या महिला कलीग के
न तो गाइड बनिये,
न ही डाइरेक्टर ही;
अपितु उनकी ‘साथी’
बन जाइये !
सुभाष चंद्रा कहिन।
राजस्थान की
श्रीमती उषा चौमर,
जो पहले
सिर पर मैला ढोती थी,
जिसके विरुद्ध
वे लड़ी।
अंततोगत्वा,
डॉक्टर बिंदेश्वर के
प्रयास से
समाज की
मुख्य धारा से जुड़ी।
2020 का
‘पद्मश्री’ सम्मान से
उषा जी को
अलंकृत की गई।
अंतरराष्ट्रीय
महिला दिवस पर
सभी देवियों को
शत-शत नमन।
महिलाओं को
सम्मान का
उत्तम उदाहरण-
‘जब सभी पुरुष
कुँवारे रहेंगे
और उसे स्पर्श तक
नहीं करेंगे !’
श्री सदानन्द जी महिलाओं के प्रति सम्मान व्यक्त करना एक परंपरा बन चुका है। आपने यथार्थ प्रश्न उठाया है किन्तु उपरोक्त पंक्तियां क्या अर्थ दे रही हैं? शादी करना और स्पर्श करना केवल पुरुषों की ही कामना नहीं होती। महिलाओं को भी अभिलाषा होती है। मलिलाओं को अविवाहित रखने की कल्पना उनके प्रति किस प्रकार का सम्मान है, समझ नहीं आया।