गीत/नवगीतपद्य साहित्य

नारी नहीं अब घर तक सीमित

नारी नहीं अब घर तक सीमित, चहुँ ओर अब छायी है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।

अहिल्या बाई, आनन्दी बाई।
इंदिरा नुई ने धाक जमाई।
अंतरिक्ष की हुई कल्पना,
टेसी थामस जग में छाई।
दुर्गा भाभी को याद करें नित, मैरी काम हरषाई है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।

बछेंद्री और जीजाबाई।
संगीत को है लता सजाई।
सरोजिनी है प्रेरणा देती,
राह दिखाती लक्ष्मीबाई।
प्रगति के पथ पर, चलती है नित, नारी की तमन्ना छाई है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब तकनीक भी, अपनायी है।।

सावित्री बाई ने मार्ग दिखाया।
सुधा मूर्ति ने नाम कमाया।
राष्ट्रीय भावों से ओत प्रोत हो,
सुभद्रा कुमारी ने काव्य सुनाया।
बहुआयामी व्यक्तित्व निखरता, नारी करती अगुआई है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब तकनीक भी, अपनायी है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)