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आनलाइन शिक्षाप्रणाली के लाभ और कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?

साल1993 में वैधानिक मान्यता प्राप्त आनलाइन शिक्षा कोरोना संक्रमण काल में समस्त विश्व के साथ साथ भारत में भी उच्चतर शिक्षा से लेकर प्राथमिक तक माध्यम बनीं।सभी स्तर के शिक्षण संस्थान सरकारी गैर सरकारी ग्रामीण हों या शहरी हिन्दी अथवा कोई अन्य माध्यम आनलाइन शिक्षा देते दिखे।आनलाइन परीक्षाएं टेस्ट हुए।इस सबमें निजी व सरकारी संस्थान विविध सरकारें सक्रिय हुईं उन्होंने अपनी क्षमता अनुभव के अनुसार आनलाइन शिक्षण को सुगम सरल व सभी तक पहुंचाने के माध्यम उपलब्ध कराये।दूरदर्शन के किसी समय में बच्चों के लिए लोकप्रिय ज्ञानदर्शन चैनल की तरह हर राज्य के चैनल संस्थानों के एप सामने आए।पहले से सोशलमीडिया पर उपलब्ध गूगलक्लास, गूगलमीट जूमएप स्काइप ज्ञानएप बोकलएप ट्विटर यूटयूब ,इंस्टाग्राम आदि बड़े सहायक सिद्ध हुए।सीखने और सिखाने वाले को आपस में जोड़ने जिज्ञासा पूर्ति का काम करते रहे।बदली परिस्थितियों से कहीं न कहीं सामंजस्य भी बिठाने का काम किया।स्ंवंयप्रभा, पीएम ई विद्या दीक्षा वन्दे गुजरात विक्टर चैनल माना टीवी जैसे चैनल लगातार आनलाइन शिक्षण में अच्छा काम कर रहे हैं।कई राज्य सरकारें दैनिक समाचार पत्रों में नियमित रूप से शिक्षा कार्यक्रमों का विवरण देती रहीं।एक एक उपविषय का रात दिन में आठ आठ बार अलग अलग समय पर प्रसारित होना अत्यन्त लाभप्रद रहा।शिक्षार्थी कभी भी अपने समय सुविधा के अनुसार लाभ उठा सकता है।दूरदर्शन के निशुल्क डीटीएच के द्वारा निरन्तर आनलाइन शिक्षा में बड़ी भूमिका निभायी जा रही है।छोटे शहरों गांव दूरस्थ क्षेत्रों में आज भी डीटीएच सबसे बड़ा माध्यम है।मैंने स्वंय सर्वाधिक डीटीएच वाले बच्चों को शिक्षण चैनलों की सेटिंग समझाई।निरन्तर व्हाटशप ग्रुपों पर लिंक भेजे।

आनलाइन शिक्षा प्रणाली के लाभ की बात करें तो यह सफल होने से अनेक प्रकार से विविध स्तरों पर उपादेय हो सकती है।जैसाकि आफलाइन में विदयालय जाना पड़ेगा।निर्धारित समय और दिन भी होगा।इसमें न कहीं जाना है न निश्चित समय दिन है।अपने समय सुविधानुसार घर पर रास्ते में वाहन आदि में लाभ उठा सकते हैं।आने जाने का जोखिम अलग से तैयारी की भी बात नहीं है।बाहरी तत्वों उनमें भी अराजक से सम्पर्क का गलत दिशा में मोड़ देने का खतरा नहीं है।घर से निकले विद्यालय नहीं पहुंचे देर से पहुंचे अथवा जल्दी वापस आ गए।वादन गोल कर दिए आदि का नुकसान आनलाइन शिक्षा लाभ में बदल देती है।शिक्षा का यह आधुनिक स्वरूप का एक लाभ इसका दायरा सीमित न होना भी है। देश विदेश के किसी कोने में रहकर किसी भी समय शिक्षण व उसके प्रयोग हो सकते हैं।उच्च व उच्चतर शिक्षा में आनलाइन प्लेट फार्म महती भूमिका निभा ही रहे हैं।शिक्षा से वंचितों को मुक्त व दूरस्थ शिक्षा नब्बे के दशक से लाभकारी बनी हुई है।इन्दिरागांधी राष्ट्रीय मुक्तविश्वविद्यालय व विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के विविध विषयों पाठ्यक्रमों पर दूरदर्शन के कार्यक्रम मैंने अपनी नौवीं कक्षा से ही देखकर उसके लाभ को समझा है।ऐसा करते करते मेरी बालमनोविज्ञान पर निबन्धों की पुस्तक क्यों बोलते हैं बच्चे झूठ तैयार हो गई उसके न केवल दो संस्करण आ गए अपितु उड़िया संथाली और अंग्रेजी में भी अनुवाद हो गया।यह इग्नू के आनलाइन कार्यक्रम मार्गदर्शन का लाभ था।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जहां उचित शिक्षा की व्यवस्था न हो तो शिक्षा के लिए परदेश चले जाना चाहिए पर अब आनलाइन शिक्षा से कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है।आप जहां पर हैं वहीं रहकर न केवल पढ़ाई प्रशिक्षण कर सकते हैं।अपितु परीक्षा उत्तीर्ण कर रोजगार सृजन नौकरी भी पा सकते हैं।इस तरह की शिक्षाप्रणाली देश दुनियां के किसी भी कोने से जोड़ने का काम कर रही है।कभी बीएसएनएल का विज्ञापन आता था कि कर लो दुनियां मुटठी में आज विद्यालय महाविद्यालय विश्वविद्यालय तकनीकी संस्थान सबके सब सीखने और सिखाने वाले की मुट्ठी में हैं।उंगली के इशारे व आवाज से काम हो जा रहे हैं।शिक्षा ही नहीं संगीत नृत्य योग सिलाई कढ़ाई बुनाई चित्रकारी खेल खिलौने बनाने व अनेकानेक गतिविधियां निकटतम होने का लाभ दे रही हैं।सरलता से कई कई बार अभ्यास कर शंका समाधान कर सिखा रही हैं।आयु का बन्धन भी नहीं है।घर समाज क्षेत्र राज्य की अनावश्यक दीवारें संकुचित धारणाएं टूट रही हैं।वर्तमान सरकार द्वारा घोषित नयी शिक्षा नीति उसके लिए पूर्व तैयारी प्रशिक्षण संकल्पनाएं यह संकेत दे रही हैं कि दशकों के शिक्षा के क्षेत्र में बड़े अभाव की पूर्ति होगी।प्राचीनता आधुनिकता से जुड़ेगी।हम सब पुरातनता के साथ साथ भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होंगे।हम देश के गिने चुने स्मारकों ताजमहल कुतुबमीनार लालकिला चारमीनार इण्डियागेट हवामहल से आगे बढ़कर जनपद तहसील तक की महत्वपूर्ण चीजों रहन सहन खान पान को शिक्षा के द्वारा जानेंगे।इसमें आनलाइन शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान होगा।अब तक उपेक्षित रही स्थानीयता शिक्षा व उसके विषयों से जुड़ जाएगी।दशकों गायब होती जा रही चीजें खेल खिलौने आदि वापस आ जाएंगे।उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम को संस्कृति भाषा सभ्यता आस्थाओं परम्पराओं रीतियों लोकाचारों से जोड़ेगी।सभी एक दूसरे को जान समझ सकेंगे।वास्तव में अनेकता में एकता का पाठ हमारी शिक्षा के द्वारा पढ़ाया जा रहा होगा।

आनलाइन शिक्षण की देश के अन्दर जैसी स्थिति है।उससे सन्तुष्ट नहीं हुआ जा सकता।ऊपर से चिन्ता की बात यह है कि इसे और बेहतर कैसे बनाया जाए।हमें सबसे पहले कमियों को खोजकर दूर करना होगा अपितु आजकल से कहीं अधिक सुविधाओं कुशल संसाधनों का विकास करना करना होगा वह चाहें तकनीकी हों मानवीय अथवा भौतिक।आनलाइन शिक्षा के लिए तीव्र इंटरनेट की आवश्यकता होती है साथ ही प़ढ़ने पढ़ाने वाले के पास कम्पयूटर लैपटाप टेबलेट मोबाइल आदि में में कुछ तो होना ही चाहिए।यह सब महानगरों कस्बों में जितना सरल है।गांवों दूरस्थ क्षेत्रों में उतना ही दुर्लभ और कठिन है।अनेक क्षेत्रों में तो अभी बिजली ही नियमित नहीं हैं।नेटवर्क के पर्याप्त टावर नहीं है अथवा उनकी पहुंच नहीं है।ऊपर से आनलाइन शिक्षा के लिए न निजी क्षेत्र पूरी तरह तैयार है और न ही सरकारी तंत्र।बहुत कम शिक्षक निजी व सरकारी तंत्र के ऐसे हैं जो विधिवत शिक्षण कर रहे हें।अधिकांश मात्र औपचारिकता खानापूर्ति कर रहे है या पुस्तक गाइडों का फोटों खींचकर डाल देना ही आनलाइन शिक्षण मान बैठे हैं।दूसरी ओर बच्चों की एक बड़ी संख्या यह मानकर चल रही है कि टीचरों को वेतन मिलता है।नौकरी है। इसलिए उनकी यह मजबूरी है।गम्भीरता से नहीं लेते।विभिन्न संस्थान शिक्षा परिषदें प्रशिक्षण केन्द्र अपने संसाधनों चाहें मानवीय हों भौतिक अथवा तकनीकी समझें बिना नियम पर नियम बनाकर निर्देश ऊपर से नीचे को भेजना ही अपना कर्तव्य मान बैठे हैं।जिससे आनलाइन शिक्षण कदापि बेहतर नहीं हो सकता।किसी भी योजना शिक्षण प्रशिक्षण के लिए पैसा भेजना ही महत्पूर्ण नहीं होता उससे अधिक महत्पूर्ण है कि उसका क्रियान्वयन किस तरह से हो रहा है और करने वाले की छवि कैसी है।नीति व नियति क्या है।

अब प्रश्न यह है कि आनलाइन शिक्षण को और बेहतर कैसे बनाया जाए।इसके लिए हमें क्या कैसे और क्यों के सूत्र पर चलना होगा।यानि कि क्या करना है।कैसे करना है और क्यों करना है।तो सबसे पहले आनलाइन शिक्षा के लिए सभी प्रकार के संसाधन केन्द्र और राज्य सरकारों को विकसित करने होंगे।पूरे देश में बिजली के साथ साथ नेटवर्क टीवी रेडियों का नेटवर्क मजबूत करना होगा।कम्प्यूटर मोबाइल टेबलेट लैपटाप आदि बांटने पड़ सकते हैं।लाकडाऊन में एनसीईआरटी द्वारा विकसित प्रज्ञाता के सीमित कार्यक्रम को आगे बढ़ाना होगा।हर राज्य को आगे आना होगा।वर्चुअल बैठकों की संख्या उनमे सहभागिता व परिणाम पर ध्यान देना होगा।उसको स्थान परिस्थिति व आवश्यकतानुसार तार्किक बनाना पड़ेगा।हर भागीदार में सहभागिता के साथ गम्भीरता पूर्व तैयारी पैदा करनी होगी।अभी देश व राज्यों में पाठ्य वस्तु व पाठ्यसामग्री पूरी तरह आनशिक्षण के लिए उपलब्ध नहीं है।उसका हर राज्य की आवश्यकतानुसार विकसित करना होगा ।चाहें कहीं कहीं अनुवाद का सहारा ही क्यों न लेना पड़े।अभी न तो शिक्षाधिकारी आन लाइन शिक्षण के लिए पूरी तरह तैयार है और न शिक्षक ।इनको विधिवत आधुनिक विश्व परिदृश्य व आवश्यकतानुरूप तैयार करना होगा।साथ ही छात्र अभिभावक को बैठकें कर यह विश्वास दिलाना होगा कि बदले समय और विश्व परिदृश्य में अपने आपको तैयार करो।इसी के साथ प्रशिक्षण संस्थानों शिक्षण संस्थानों का ढांचा आधुनिक सुविधाओं सज्जा के अनुरूप कर उनसे ही रेडियो टेलिविजन व अन्यान्य नेटवर्क साधनों से शिक्षा के ढांचे को अन्तिम शिक्षार्थी तक ढालना होगा।राष्ट्रीय राजधानी महानगरों से गांव के अन्तिम छोर तक श्रृव्य दृश्य साधनों के विषयवार समूह बनाने होंगे।उनका साप्ताहिक मूल्यांकन निरीक्षण संस्थाप्रधान ब्लाक जिला मण्डल राज्य केन्द्र स्तर से नियमित रूप से करते रहना होगा।छात्रों के बहुमुखी संवर्धन के लिए दिवसों को निचले स्तर से ही महोत्सव में बदलना होगा।

आनलाइन शिक्षा की बेहतरी के लिए संसाधनों के पूर्णतया विकसित होने के बाद सबसे बड़ा रोल शिक्षकों का है।वह मानसिक शारीरिक व तकनीकी रूप से जितना तैयार होंगे।उतनी ही जल्दी बेहतर परिणाम देंगे।शिक्षा शिक्षण जब आनलाइन के साथ मनोरंजक भी होगी तो न शिक्षा भयभीत करेगी और न परीक्षा।सभी त्यौहारों की तरह ही हर्षोल्लास से संकोच उतावलापन छोड़ परीक्षाओं का स्वागत करेंगे।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भले ही आनलाइन शिक्षा के बेहतर करना अभी चुनौती पूर्ण है।पर समय के साथ डिजिटल सामग्री संसाधनों का विकास सभी अंगों की पूर्ण योग से की गई तैयारी अवश्य सफलता दिलाएगी।अनेक क्षेत्रों की भांति इस क्षेत्र में भी हम विश्व में अग्रणी होंगे।शीघ्र लागू होने जा रही नयी शिक्षा नीति का जिस तरह का ढांचा है।तैयारी है वह महत्पूर्ण भूमिका निभाने वाला है।बस हर स्तर अपने कर्तव्य के लिए ईमानदारी से तत्पर हो जाए।

 

*शशांक मिश्र भारती

परिचय - शशांक मिश्र भारती नामः-शशांक मिश्र ‘भारती’ आत्मजः-स्व.श्री रामाधार मिश्र आत्मजाः-श्रीमती राजेश्वरी देवी जन्मः-26 जुलाई 1973 शाहजहाँपुर उ0प्र0 मातृभाषा:- हिन्दी बोली:- कन्नौजी शिक्षाः-एम0ए0 (हिन्दी, संस्कृत व भूगोल)/विद्यावाचस्पति-द्वय, विद्यासागर, बी0एड0, सी0आई0जी0 लेखनः-जून 1991 से लगभग सभी विधाओं में प्रथम प्रकाशित रचना:- बदलाव, कविता अक्टूबर 91 समाजप्रवाह मा0 मुंबई तितली - बालगीत, नवम्बर 1991, बालदर्शन मासिक कानपुर उ0प्र0 -प्रकाशित पुस्तकें हम बच्चे (बाल गीत संग्रह 2001) पर्यावरण की कविताएं ( 2004) बिना बिचारे का फल (2006/2018) क्यो बोलते है बच्चे झूठ (निबध-2008/18)मुखिया का चुनाव (बालकथा संग्रह-2010/2018) आओ मिलकर गाएं(बाल गीत संग्रह 20011) दैनिक प्रार्थना(2013)माध्यमिक शिक्षा और मैं (निबन्ध2015/2018) स्मारिका सत्यप्रेमी पर 2018 स्कूल का दादा 2018 अनुवाद कन्नड़ गुजराती मराठी संताली व उड़िया में अन्यभाषाओं में पुस्तकें मुखिया का चुनाव बालकथा संग्रह 2018 उड़िया अनुवादक डा0 जे.के.सारंगी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन -जून 1991 से हास्य अटैक, रूप की शोभा, बालदर्शन, जगमग दीपज्योति, देवपुत्र, विवरण, नालन्दा दर्पण, राष्ट्रधर्म, बाल साहित्य समीक्षा, विश्व ज्योति, ज्योति मधुरिमा, पंजाब सौरभ, अणुव्रत, बच्चों का देश, विद्यामेघ, बालहंस, हमसब साथ-साथ, जर्जर कश्ती, अमर उजाला, दैनिक जनविश्वास, इतवारी पत्रिका, बच्चे और आप, उत्तर उजाला, हिन्दू दैनिक, दैनिक सबेरा, दै. नवज्योति, लोक समाज, हिन्दुस्तान, स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, बालप्रहरी, सरस्वती सुमन, बाल वाटिका, दैनिक स्वतंत्र वार्ता, दैनिक प्रातः कमल, दैं. सन्मार्ग, रांची एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिब्यून, दै.दण्डकारण्य, दै. पायलट, समाचार जगत, बालसेतु, डेली हिन्दी मिलाप उत्तर हिन्दू राष्ट्रवादी दै., गोलकोण्डा दर्पण, दै. पब्लिक दिलासा, जयतु हिन्दू विश्व, नई दुनिया, कश्मीर टाइम्स, शुभ तारिका, मड़ई, शैलसूत्रं देशबन्धु, राजभाषा विस्तारिका, दै नेशनल दुनिया दै.समाज्ञा कोलकाता सहित देश भर की दो सौ से अधिक दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत। अन्तर जाल परः- 12 अगस्त 2010 से रचनाकार, साहित्य शिल्पी, सृजनगाथा, कविता कोश, हिन्दी हाइकु, स्वर्गविभा, काश इण्डिया ,मधेपुरा टुडे, जय विजय, नये रचनाकार, काव्यसंकलन ब्लाग, प्रतिलिपि साहित्यसुधा मातृभाषाडाटकाम हिन्दीभाषा डाटकाम,युवाप्रवर्तक,सेतु द्विभाषिक आदि में दिसम्बर 2018 तक 1000 से अधिक । ब्लागसंचालन:-हिन्दी मन्दिरएसपीएन.ब्लागपाट.इन परिचय उपलब्ध:-अविरामसाहित्यिकी, न्यूज मैन ट्रस्ट आफ इण्डिया, हिन्दी समय मा. बर्धा, हिन्दुस्तानी मीडियाडाटकाम आदि। संपादन-प्रताप शोभा त्रैमा. (बाल साहित्यांक) 97, प्रेरणा एक (काव्य संकलन 2000), रामेश्वर रश्मि (विद्यालय पत्रिका 2003-05-09), अमृतकलश (राष्ट्रीय स्तर का कविता संचयन-2007), देवसुधा (प्रदेशस्तरीय कविता संचयन 2009),देवसुधा (अ भा कविता संचयन 2010), देवसुधा-प्रथम प्रकाशित कविता पर-2011,देवसुधा (अभा लघुकथा संचयन 2012), देवसुधा (पर्यावरण के काव्य साहित्य पर-2013) देवसुधा पंचम पर्यावरणविषयक कविताओं पर 2014 देवसुधा षष्ठ कवि की प्रतिनिधि काव्यरचना पर 2014 देवसुधा सात संपादकीय चिंतन पर 2018 सह संपादन लकड़ी की काठी-दो बालकविताओं पर 2018 आजीवन.सदस्य/सम्बद्धः-नवोदित साहित्यकार परिषद लखनऊ-1996 से -हमसब साथ-साथ कला परिवार दिल्ली-2001 से -कला संगम अकादमी प्रतापगढ़-2004 से -दिव्य युग मिशन इन्दौर-2006 से -नेशनल बुक क्लव दिल्ली-2006 से -विश्व विजय साहित्य प्रकाशन दिल्ली-2006 से -मित्र लोक लाइब्रेरी देहरादून-15-09-2008 से -लल्लू जगधर पत्रिका लखनऊ-मई, 2008 से -शब्द सामयिकी, भीलबाड़ा राजस्थान- -बाल प्रहरी अल्मोड़ा -21 जून 2010 सेव वर्जिन साहित्य पीठ नई दिल्ली 2018 से संस्थापकः-प्रेरणा साहित्य प्रकाशन-पुवायां शाहजहांपुर जून-1999 सहसंस्थापक:-अभिज्ञान साहित्यिक संस्था बड़ागांव, शाहजहांपुर 10 जून 1991 प्रसारणः- फीबा, वाटिकन, सत्यस्वर, जापान रेडियो, आकाशवाणी पटियाला सहयोगी प्रकाशन- रंग-तरंग(काव्य संकलन-1992), काव्यकलश 1993, नयेतेवर 1993 शहीदों की नगरी के काव्य सुमन-1997, प्रेरणा दो 2001 प्यारे न्यारे गीत-2002, न्यारे गीत हमारे 2003, मेरा देश ऐसा हो-2003, सदाकांक्षाकवितांक-2004, सदाकांक्षा लघुकथांक 2005, प्रतिनिधि लघुकथायें-2006, काव्य मंदाकिनी-2007, दूर गगन तक-2008, काव्यबिम्ब-2008, ये आग कब बुझेगी-2009, जन-जन के लिए शिक्षा-2009, काव्यांजलि 2012 ,आमजन की बेदना-2010, लघुकथा संसार-2011, प्रेरणा दशक 2011,आईनाबोलउठा-2012,वन्देमातरम्-2013, सुधियों के पल-2013, एक हृदय हो भारत जननी-2015,काव्यसम्राटकाव्य एवं लघुकथासंग्रह 2018, लकड़ी की काठी एक बालकाव्य संग्रह 2018 लघुकथा मंजूषा दो 2018 लकड़ी की काठी दो 2018 मिली भगत हास्य व्यंग्य संग्रह 2019 जीवन की प्रथम लघुकथा 2019 आदि शताधिक संकलनों, शोध, शिक्षा, परिचय व सन्दर्भ ग्रन्थों में। परिशिष्ट/विशेषांकः-शुभतारिका मा0 अम्बाला-अप्रैल-2010 सम्मान-पुरस्कारः-स्काउट प्रभा बरेली, नागरी लिपि परिषद दिल्ली, युगनिर्माण विद्यापरिषद मथुरा, अ.भा. सा. अभि. न. समिति मथुरा, ए.बी.आई. अमेरिका, परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान जबलपुर, बालकन जी वारी इण्टरनेशनल दिल्ली, जैमिनी अकादमी पानीपत, विन्ध्यवासिनी जन कल्याण ट्रस्ट दिल्ली, वैदिकक्रांति परिषद देहरादून, हमसब साथ-साथ दिल्ली, अ.भा. साहित्य संगम उदयपुर, बालप्रहरी अल्मोड़ा, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद, कला संगम अकादमी प्रतापगढ़, अ. भा.राष्ट्रभाषा विकास संगठन गाजियाबाद, अखिल भारतीय नारी प्रगतिशील मंच दिल्ली, भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता, विक्रमशिला विद्यापीठ भागलपुर, आई.एन. ए. कोलकाता हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला, नवप्रभात जनसेवा संस्थान फैजाबाद, जयविजय मासिक, काव्यरंगोली साहित्यिक पत्रिका लखीमपुर राष्ट्रीय कवि चौपाल एवं ई पत्रिका स्टार हिन्दी ब्लाग आदि शताधिक संस्था-संगठनों से। सहभागिता-राष्ट्रीय- अन्तर्राष्टीय स्तर की एक दर्जन से अधिक संगोष्ठियों सम्मेलनों-जयपुर, दिल्ली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देहरादून, अल्मोड़ा, भीमताल, झांसी, पिथौरागढ़, भागलपुर, मसूरी, ग्वालियर, उधमसिंह नगर, पटियाला अयोध्या आदि में। विशेष - नागरी लिपि परिषद, राजघाट दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-1996 -जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2003 में प्रथम स्थान -हम सब साथ-साथ नई दिल्ली द्वारा युवा लघुकथा प्रतियोगिता 2008 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान। -सामाजिक आक्रोश पा. सहारनपुर द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2009 में सराहनीय पुरस्कार - प्रेरणा-अंशु द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2011 में सांत्वना पुरस्कार --सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2012 में सराहनीय पुरस्कार -- जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 16 वीं अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2012 में सांत्वना पुरस्कार ,जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में सांत्वना पुरस्कार सम्प्रति -प्रवक्ता संस्कृत:-राजकीय इण्टर कालेज टनकपुर चम्पावत उत्तराखण्ड स्थायी पताः- हिन्दी सदन बड़ागांव, शाहजहांपुर- 242401 उ0प्र0 दूरवाणी:- 9410985048, 9634624150 ईमेल [email protected]/ [email protected]