गीतिका/ग़ज़ल

एक तरफ़ खाई हर एक कसम रख दे…

एक तरफ, खाई हर एक कसम रख दे
फिर मेरे कदमों के साथ कदम रख दे

काँधे पर जुल्फ़ों के पेचो ख़म रख दे
आ सहरा के होठो पर शबनम रख दे

छू कर मेरी धड़कन के अहसासों को
दिल के जख्मों पर थोड़ा मरहम रख दे

अश्कों से बोझिल पलकों पर ख़्वाब हँसी
रख दे चाहे उम्मीदों से कम रख दे

मेरी चाहत की बेचैन हथेली पर
अपनी चाहत का बोसा हमदम रख दे

वक्त ख़ुशी लौटाई है तूने तो अब
दूर कहीं ले जा कर सारे ग़म रख दे

इक मुद्दत से पतझर लेकर बैठा हूँ
इस दामन में फूलों का मौसम रख दे

सतीश बंसल
१२.०३.२०२१

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.