एक तरफ़ खाई हर एक कसम रख दे…
एक तरफ, खाई हर एक कसम रख दे
फिर मेरे कदमों के साथ कदम रख दे
काँधे पर जुल्फ़ों के पेचो ख़म रख दे
आ सहरा के होठो पर शबनम रख दे
छू कर मेरी धड़कन के अहसासों को
दिल के जख्मों पर थोड़ा मरहम रख दे
अश्कों से बोझिल पलकों पर ख़्वाब हँसी
रख दे चाहे उम्मीदों से कम रख दे
मेरी चाहत की बेचैन हथेली पर
अपनी चाहत का बोसा हमदम रख दे
वक्त ख़ुशी लौटाई है तूने तो अब
दूर कहीं ले जा कर सारे ग़म रख दे
इक मुद्दत से पतझर लेकर बैठा हूँ
इस दामन में फूलों का मौसम रख दे
सतीश बंसल
१२.०३.२०२१