गीतिका/ग़ज़ल

ये नाहक ग़रूर होता है…

ये जो नाहक ग़रूर होता है
एक दिन चूर चूर होता है

हर दुआ और बद्दुआ का असर
याद रखिये ज़रूर होता है

जिसने बर्ताव जो किया, उसके
साथ वैसा हुज़ूर होता है

सच को सच मानने नही देता
ये जो मन का फ़तूर होता है

झूठ की धुंध ढ़क नही सकती
सच पे सूरज सा नूर होता है

ग़लतियाँ कोई भी करे, साबित
मुफ़लिसों का कसूर होता है

उसको चैनो सुकूं नही मिलता
राहे सच से जो दूर होता है

सतीश बंसल
१८.०३.२०२१

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.