सोच का दायरा बडा रखिये….
सोच का दायरा बड़ा रखिये
आदमीयत से राब्ता रखिये
दिल में सबके लिये वफ़ा लब पर
हर किसी के लिये दुआ रखिये
जब किसी पर लगाईये तुहमत
सामने अपने आईना रखिये
चाहिये गर सुकून तो अपनी
ख्वाहिशें मुख़्तसर ज़रा रखिये
वक्त लेता है इम्तिहां सबका
दौरे मुश्किल में हौसला रखिये
मंज़िलों तक अगर पहुँचना है
ज़ारी चलने का सिलसिला रखिये
ख़ुद से मिलना भी रस्म हो बंसल
ख़ुद को ख़ुद से न यूँ ख़फ़ा रखिये
सतीश बंसल
१९.०३.२०२१