प्रबल प्रेम
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर प्रभु को नियम बदलते देखा।
प्रभु का मान टले टल जाये, जन का मान न टलते देखा।।
कुरुक्षेत्र के भीषण रण में भीष्म पितामह के कौशल में।
अर्जुन पर बाणों की वर्षा, हरि को चक्र पकड़ते देखा।।
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर……….
रोज बुहारे पंथ रामजी कब आयेंगे कुटिया में।
उसी भीलनी के घर उनको, झूठे बेर गटकते देखा।।
प्रबल प्रेम के पालें पड़कर…………..
दस सहस्र गौ नन्द बाबा के दूध दही घी माखन मिश्री।
तनिक तनिक छछिया की खातिर, गोपिन बीच मचकते देखा।।
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर …………
भीष्म प्रतिज्ञा मत्यु पांडव निश्चय एक युद्ध में कल के।
द्रोपदि के संग साड़ी पहने, दासी बनकर चलतें देखा।।
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर …………
डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”
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ग्वालियर( मध्य प्रदेश)