पुस्तक समीक्षाविविध

हे मेरे राम काव्यसंकलन प्रत्येक रामभक्त को अवश्य पढ़ना चाहिए

संसार के प्रथम सर्वमंगलरूप पर केन्द्रित हे मेरे राम कुल 155 पृष्ठ ई बुक के रूप में मेरे सामने है।पुस्तक का मुख्य पृष्ठ आकर्षक बहुरंगी तो है ही राम लक्ष्मण सीता और विनतभाव हनुमान जी के चित्र से नयनाभिराम हो गया है।ज्ञानोदय साहित्यसंस्था कर्नाटक के अध्यक्ष डा.सुनील कुमार परीट लम्बे समय से दक्षिणभारत में हिन्दी भाषा व साहित्य के लिए समर्पित हैं।उन्होंने इसका संपादन किया है।भूमिका पं. बालकृष्ण पचौरी ने लिखकर इस कृति संपादक व संकलित रचनाकारों पर बहुत कुछ कह दिया है।उन्होंने राम नाम की महिमा उसको रटने का आहृवाहन किया है।राम का नाम यमदूतों को भगाने में समर्थ है।मां शारदे की कृपा स्वंयमेव मिल जाती है।इनके अनुसार संकलन की रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं।संकलन भक्ति और शांति की लहर फैलने की ओर एक सार्थक पहल है।अध्यात्मिक साहित्यिक क्षेत्र में निश्चित रूप से अपनी छाप छोड़कर समाज का मार्गदर्शन करेगा।संपादकीय में संपादक ने भगवान श्रीरामचन्द्र जी हम सबके आदर्श हैं और ऐसा लगता है कि इस तरह का संकलन बनाकर हम सब रचनाकार साहित्य जगत के लिए आदर्श बन गए हैं स्वीकारा है।

प्रथम कविता के रूप में संकलन में साकार ब्रह्म कविता है जिसको महामण्डलेश्वर महंत श्री 1008 रामभूषण दास ने लिखकर मानव से महामानव की यात्रा को राम के माध्यम से समझाया है।कैसे जन जन के बने।वाल्मीकि तुलसी का जनना बनकर रामायण रामचरित की रचना इसमें है।संकलन की आरम्भिक समीक्षा रामकाव्य महासागर शीर्षक से सोदाहरण डा. वसुधा पु. कामत ने लिखी है उनके अनुसार संपादक ने कलयुग के हनुमान बन सभी को रामभक्ति सिखाने का काम किया है।रचनाकारों ने वाल्मीकि सा प्रयास कर रामगाथा की गंगा बहा दी है।बहुभाषाविद लेखिका ने नेमीचंद, डा. छतरसिंह, शैलेन्द्र, नंदसारस्वत, डा. इन्दिरा गुप्ता, निर्मला की रचनाधर्मिता का उल्लेख किया है।वह स्वंय इस रामनामी महासागर में गोता लगाते लगाते राममय हो गई हैं।रामकाज में लगकर अनेक रूपमय हो गईं।उनके अनुसार हर पाठक को यह रामकाव्य अवश्य पढ़ लेना चाहिए।कोराना महामारी के समय में इस संजीवनी बूटी की सभी को नितांत आवश्यकता भी है।

इसके बाद आरम्भ होता है रचनाओं का अनुक्रम हे रघंनन्दन, हे मेरे राम, राम मेरे, राम भक्ति राम नाम के दोहे आदि आदि श्रीराम जीवन का आधार तक एक सौ चौबीस रचनाएं काव्यसाहित्य की विविध विधाओं में प्रभु रामचन्द्र जी के अनेकशः स्वरूपों विशिष्टताओं और संसार के लिए उपादेयताओं को सामने रखती हैं।रचनाकारों की बात करें तो नये पुराने उत्तर दक्षिण से भारत के पन्द्रह राज्यों एक केन्द्रशासित प्रदेश चण्डीगढ़ से तो हैं ही एक रचनाकार पड़ोसी देश राम की ससुराल नेपाल के काठमाण्डू से भी हैं।नाम में क्या रखा है पर देखूं तो श्री सुरेश शर्मा, नेहा जग्गी, अ. कीर्तिवर्धन, संजय कुमार अम्बष्ट, शरदनारायण खरे, मुकेश कुमार ऋषि,डा. शैलजा टी. एच, अरूणा अग्रवाल,डा. वासुदेवन, संजय पाण्डे साधनामिश्रा, डा. जमुना कृष्णराज,दिनेश चन्द्र प्रसाद दीनेश, जयप्रकाश अग्रवाल,बी निर्मला कक्षा नवम् की छात्रा कु. सनमती कुलकर्णी व मैं स्वंय  आदि की रचनाएं सम्मिलित हैं।इसके बाद संपादक का सचित्र परिचय उसके कृतित्व व्यक्तित्व का दर्पण है।

संकलित रचनाओं में मिथिलापुत्री सीता, कैकेयी की डाह, लक्ष्मण के कड़वे बोल, हनुमान का संबल, राजा बनते सुग्रीव विभीषण, पक्षिराजजटायु का बलिदान,शबरी की जूठन,खगमग का दलबल, अहल्या उद्धार, केवट की नाव, रामेश्वर पूजा, वालमीकि का मरामरा, गणिका, अजामिल गज, नरसिंह, मोदीयोगी राममन्दिर आर्यावृत्, दशरथ कौशल्या, शत्रुध्न भरत,गुरुवशिण्ठ,तुलसी की आराधना, जातिधर्म क्षेत्र की लंका, आतंक, राष्ट्रद्रोह, गुरुकुल, धनुषभंग, पतझड़ से सावन, विश्वामित्र का अस्त्रज्ञान, वैद्य सुषेण,पुष्पक विमान, दीवाली, कनकभवन ओरछाधाम, भोलेशंकर, कम्बोडिया प्रहृलाद,गांधी, वनवास, रघुवंशीरीत, भारतीय संस्कृति, झूठ अन्याय, अशोक वाटिका, अग्निपरीक्षा, एक पत्नीत्व, गिलहरी की श्रम समानता के दर्शन विविध परिप्रेक्ष्य में हैं।रोजमर्रा के जीवन जन्म से मरण तक रामनाम जैसे रचा बसा है।वह इस संकलन में दिखकर बड़ा संकेत दे रहा है कि डा0 सुनील कुमार परीट जी का हनुमान सा प्रयास सराहिए।विविध विधाओं में रचनाओं का आनन्द लीजिए।प्रभुश्री राम पर आस्था विश्वास रखने वाले सभी के लिए यह संकलन महत्वपूर्ण है।उनके जीवन का धन्य करने वाला है।अतः उनको या कहूं सबको अवश्य पढ़ना प्रसारित प्रचारित करना चाहिए।

जिस तरह से आज अयोध्या नये रंग रूप साज सज्जा ले रही है।वैसे ही आजकल के रामभक्तों के सृजनकणों से आलोकित हे मेरे राम काव्यसंकलन परमपावन रामनवमी पर लोकार्पित होकर साहित्यजगत के लिए महत्वपूर्ण योगदान बन ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक संपादक डा0 सुनील कुमार परीट सहयोगी डा0 वसुधा पु. कामत व डा0मलकप्पा अ. महेश को यश यशस्वी बनाने के साथ साथ जीवन में सार्थकता देगा।जनकदुलारे रामदूत श्री हनुमान किसी न किसी रूप में सर्वसिद्धि हेतु उपस्थिति होंगे।इस पुनीत कार्य से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप् से जुड़े सभी को बहुत बहुत बधाई व प्रभु रामकाज के लिए वन्दन अभिनन्दन।

 

*शशांक मिश्र भारती

परिचय - शशांक मिश्र भारती नामः-शशांक मिश्र ‘भारती’ आत्मजः-स्व.श्री रामाधार मिश्र आत्मजाः-श्रीमती राजेश्वरी देवी जन्मः-26 जुलाई 1973 शाहजहाँपुर उ0प्र0 मातृभाषा:- हिन्दी बोली:- कन्नौजी शिक्षाः-एम0ए0 (हिन्दी, संस्कृत व भूगोल)/विद्यावाचस्पति-द्वय, विद्यासागर, बी0एड0, सी0आई0जी0 लेखनः-जून 1991 से लगभग सभी विधाओं में प्रथम प्रकाशित रचना:- बदलाव, कविता अक्टूबर 91 समाजप्रवाह मा0 मुंबई तितली - बालगीत, नवम्बर 1991, बालदर्शन मासिक कानपुर उ0प्र0 -प्रकाशित पुस्तकें हम बच्चे (बाल गीत संग्रह 2001) पर्यावरण की कविताएं ( 2004) बिना बिचारे का फल (2006/2018) क्यो बोलते है बच्चे झूठ (निबध-2008/18)मुखिया का चुनाव (बालकथा संग्रह-2010/2018) आओ मिलकर गाएं(बाल गीत संग्रह 20011) दैनिक प्रार्थना(2013)माध्यमिक शिक्षा और मैं (निबन्ध2015/2018) स्मारिका सत्यप्रेमी पर 2018 स्कूल का दादा 2018 अनुवाद कन्नड़ गुजराती मराठी संताली व उड़िया में अन्यभाषाओं में पुस्तकें मुखिया का चुनाव बालकथा संग्रह 2018 उड़िया अनुवादक डा0 जे.के.सारंगी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन -जून 1991 से हास्य अटैक, रूप की शोभा, बालदर्शन, जगमग दीपज्योति, देवपुत्र, विवरण, नालन्दा दर्पण, राष्ट्रधर्म, बाल साहित्य समीक्षा, विश्व ज्योति, ज्योति मधुरिमा, पंजाब सौरभ, अणुव्रत, बच्चों का देश, विद्यामेघ, बालहंस, हमसब साथ-साथ, जर्जर कश्ती, अमर उजाला, दैनिक जनविश्वास, इतवारी पत्रिका, बच्चे और आप, उत्तर उजाला, हिन्दू दैनिक, दैनिक सबेरा, दै. नवज्योति, लोक समाज, हिन्दुस्तान, स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, बालप्रहरी, सरस्वती सुमन, बाल वाटिका, दैनिक स्वतंत्र वार्ता, दैनिक प्रातः कमल, दैं. सन्मार्ग, रांची एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिब्यून, दै.दण्डकारण्य, दै. पायलट, समाचार जगत, बालसेतु, डेली हिन्दी मिलाप उत्तर हिन्दू राष्ट्रवादी दै., गोलकोण्डा दर्पण, दै. पब्लिक दिलासा, जयतु हिन्दू विश्व, नई दुनिया, कश्मीर टाइम्स, शुभ तारिका, मड़ई, शैलसूत्रं देशबन्धु, राजभाषा विस्तारिका, दै नेशनल दुनिया दै.समाज्ञा कोलकाता सहित देश भर की दो सौ से अधिक दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत। अन्तर जाल परः- 12 अगस्त 2010 से रचनाकार, साहित्य शिल्पी, सृजनगाथा, कविता कोश, हिन्दी हाइकु, स्वर्गविभा, काश इण्डिया ,मधेपुरा टुडे, जय विजय, नये रचनाकार, काव्यसंकलन ब्लाग, प्रतिलिपि साहित्यसुधा मातृभाषाडाटकाम हिन्दीभाषा डाटकाम,युवाप्रवर्तक,सेतु द्विभाषिक आदि में दिसम्बर 2018 तक 1000 से अधिक । ब्लागसंचालन:-हिन्दी मन्दिरएसपीएन.ब्लागपाट.इन परिचय उपलब्ध:-अविरामसाहित्यिकी, न्यूज मैन ट्रस्ट आफ इण्डिया, हिन्दी समय मा. बर्धा, हिन्दुस्तानी मीडियाडाटकाम आदि। संपादन-प्रताप शोभा त्रैमा. (बाल साहित्यांक) 97, प्रेरणा एक (काव्य संकलन 2000), रामेश्वर रश्मि (विद्यालय पत्रिका 2003-05-09), अमृतकलश (राष्ट्रीय स्तर का कविता संचयन-2007), देवसुधा (प्रदेशस्तरीय कविता संचयन 2009),देवसुधा (अ भा कविता संचयन 2010), देवसुधा-प्रथम प्रकाशित कविता पर-2011,देवसुधा (अभा लघुकथा संचयन 2012), देवसुधा (पर्यावरण के काव्य साहित्य पर-2013) देवसुधा पंचम पर्यावरणविषयक कविताओं पर 2014 देवसुधा षष्ठ कवि की प्रतिनिधि काव्यरचना पर 2014 देवसुधा सात संपादकीय चिंतन पर 2018 सह संपादन लकड़ी की काठी-दो बालकविताओं पर 2018 आजीवन.सदस्य/सम्बद्धः-नवोदित साहित्यकार परिषद लखनऊ-1996 से -हमसब साथ-साथ कला परिवार दिल्ली-2001 से -कला संगम अकादमी प्रतापगढ़-2004 से -दिव्य युग मिशन इन्दौर-2006 से -नेशनल बुक क्लव दिल्ली-2006 से -विश्व विजय साहित्य प्रकाशन दिल्ली-2006 से -मित्र लोक लाइब्रेरी देहरादून-15-09-2008 से -लल्लू जगधर पत्रिका लखनऊ-मई, 2008 से -शब्द सामयिकी, भीलबाड़ा राजस्थान- -बाल प्रहरी अल्मोड़ा -21 जून 2010 सेव वर्जिन साहित्य पीठ नई दिल्ली 2018 से संस्थापकः-प्रेरणा साहित्य प्रकाशन-पुवायां शाहजहांपुर जून-1999 सहसंस्थापक:-अभिज्ञान साहित्यिक संस्था बड़ागांव, शाहजहांपुर 10 जून 1991 प्रसारणः- फीबा, वाटिकन, सत्यस्वर, जापान रेडियो, आकाशवाणी पटियाला सहयोगी प्रकाशन- रंग-तरंग(काव्य संकलन-1992), काव्यकलश 1993, नयेतेवर 1993 शहीदों की नगरी के काव्य सुमन-1997, प्रेरणा दो 2001 प्यारे न्यारे गीत-2002, न्यारे गीत हमारे 2003, मेरा देश ऐसा हो-2003, सदाकांक्षाकवितांक-2004, सदाकांक्षा लघुकथांक 2005, प्रतिनिधि लघुकथायें-2006, काव्य मंदाकिनी-2007, दूर गगन तक-2008, काव्यबिम्ब-2008, ये आग कब बुझेगी-2009, जन-जन के लिए शिक्षा-2009, काव्यांजलि 2012 ,आमजन की बेदना-2010, लघुकथा संसार-2011, प्रेरणा दशक 2011,आईनाबोलउठा-2012,वन्देमातरम्-2013, सुधियों के पल-2013, एक हृदय हो भारत जननी-2015,काव्यसम्राटकाव्य एवं लघुकथासंग्रह 2018, लकड़ी की काठी एक बालकाव्य संग्रह 2018 लघुकथा मंजूषा दो 2018 लकड़ी की काठी दो 2018 मिली भगत हास्य व्यंग्य संग्रह 2019 जीवन की प्रथम लघुकथा 2019 आदि शताधिक संकलनों, शोध, शिक्षा, परिचय व सन्दर्भ ग्रन्थों में। परिशिष्ट/विशेषांकः-शुभतारिका मा0 अम्बाला-अप्रैल-2010 सम्मान-पुरस्कारः-स्काउट प्रभा बरेली, नागरी लिपि परिषद दिल्ली, युगनिर्माण विद्यापरिषद मथुरा, अ.भा. सा. अभि. न. समिति मथुरा, ए.बी.आई. अमेरिका, परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान जबलपुर, बालकन जी वारी इण्टरनेशनल दिल्ली, जैमिनी अकादमी पानीपत, विन्ध्यवासिनी जन कल्याण ट्रस्ट दिल्ली, वैदिकक्रांति परिषद देहरादून, हमसब साथ-साथ दिल्ली, अ.भा. साहित्य संगम उदयपुर, बालप्रहरी अल्मोड़ा, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद, कला संगम अकादमी प्रतापगढ़, अ. भा.राष्ट्रभाषा विकास संगठन गाजियाबाद, अखिल भारतीय नारी प्रगतिशील मंच दिल्ली, भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता, विक्रमशिला विद्यापीठ भागलपुर, आई.एन. ए. कोलकाता हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला, नवप्रभात जनसेवा संस्थान फैजाबाद, जयविजय मासिक, काव्यरंगोली साहित्यिक पत्रिका लखीमपुर राष्ट्रीय कवि चौपाल एवं ई पत्रिका स्टार हिन्दी ब्लाग आदि शताधिक संस्था-संगठनों से। सहभागिता-राष्ट्रीय- अन्तर्राष्टीय स्तर की एक दर्जन से अधिक संगोष्ठियों सम्मेलनों-जयपुर, दिल्ली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देहरादून, अल्मोड़ा, भीमताल, झांसी, पिथौरागढ़, भागलपुर, मसूरी, ग्वालियर, उधमसिंह नगर, पटियाला अयोध्या आदि में। विशेष - नागरी लिपि परिषद, राजघाट दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-1996 -जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2003 में प्रथम स्थान -हम सब साथ-साथ नई दिल्ली द्वारा युवा लघुकथा प्रतियोगिता 2008 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान। -सामाजिक आक्रोश पा. सहारनपुर द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2009 में सराहनीय पुरस्कार - प्रेरणा-अंशु द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2011 में सांत्वना पुरस्कार --सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2012 में सराहनीय पुरस्कार -- जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 16 वीं अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2012 में सांत्वना पुरस्कार ,जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में सांत्वना पुरस्कार सम्प्रति -प्रवक्ता संस्कृत:-राजकीय इण्टर कालेज टनकपुर चम्पावत उत्तराखण्ड स्थायी पताः- हिन्दी सदन बड़ागांव, शाहजहांपुर- 242401 उ0प्र0 दूरवाणी:- 9410985048, 9634624150 ईमेल [email protected]/ [email protected]