ग़ज़ल
मुस्कुरा कर प्यार का इजहार कर।
इश्क है हमसे जरा इकरार कर।।
तू निगाहों को मिला हमसे जरा।
बातें तो हमसे कभी दो चार कर।।
बैठ मेरे पास पल भर के लिये।
बीती बातों का जिक्र तो यार कर।।
खो न जाना तू कभी इस भीड़ में।
मुझसे ये वादा सरेबाजार कर।।
चल बसायें दूर अपना इक जहां।
बातों पर मेरी सनम एतबार कर।।
इस जहां में है नही कोई मेरा।
दिल में अपने तू जगह दिलदार कर।।
— प्रीती श्रीवास्तव