सामाजिक

मानवता आज भी ज़िंदा है

भले हम कितना भी कोस ले कलयुग को और इंसानी फ़ितरत को की इंसानियत मर गई है, अपनापन ख़त्म हो गया है, भाईचारे की भावना विलुप्त हो रही है पर ऐसा नहीं है। आज भी कुछ लोगों के अंदर मानवता मरी नहीं, जब भी कोई कुदरती आफ़त आती है तो सब एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहते है। सोश्यल मीडिया को ही देख लीजिए भले हम इस मंच को आभासी कहते है, पर फिर भी यहाँ बिना देखे बिना जाने, ना जान ना पहचान होती है पर फिर भी इस महामारी के समय में दवाई, नुस्खे, इंजेक्शन, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के लिए एक दूसरे की मदद करने फोन नं, पोस्ट और अस्पतालों की लिस्ट देकर आज हर कोई यही कामना करता है की बस सबकी जान बचें। किसीके घर का दीया ना बुझे, किसीके सर से साया ना हटे। या तो किसी गरीब को मेडिकल सुविधा के लिए पैसों की जरूरत हो तब भले खुद मदद करने के काबिल ना हो पर सोशल मीडिया पर पोस्ट ड़ालकर गुहार लगाते देखा है। एक अस्पताल में बाप बेटा दोनों भर्ती थे दोनों को वेंटिलेटर की जरूरत थी और वेंटिलेटर एक ही था उस परिस्थिति में बाप डाॅक्टर को ये कह रहा था की मेरे बेटे को बचा लो और बेटा कह रहा था मेरे पापा को बचा लो। ये भारतीय संस्कृति की मिसाल है। अगर कोई कहीं किसीका गाना सुनते है आवाज़ अच्छी लगती है तो रेकोर्ड करके पोस्ट ड़ाल देते है की काश किसी संगीतकार की नज़र पड़े और बंदे को चांस दे दे। अन्जान अनदेखों की खुशी में खुश होते है, और दु:ख में सांत्वना देते है। जन्मदिन मनाते है तो मृत्यु पर शोक भी जताते है। त्योहार हो क्रिकेट हो या देश के हालात पर कोई मुद्दा हो, एक दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देना, चर्चा करना ज़िंदगी में जीवंतता भरता है।
और सच मानें ये सारी चीज़े बहुत मायने रखती है। एक दूसरे की सामान्य पोस्ट पर कोई जाएं या ना जाएं पर कोई खास पोस्ट पर एक दूसरे की हौसला अफ़ज़ाई या सुख-दु:ख बांटने से नहीं चूकते।
हम जानते है भले लाईक कमेन्ट से कोई आपका संसार चलने वाला नहीं पर एक सुकून जरूर महसूस होता है की इतने सारे लोगों की भावनाएं हमसे जुड़ी है। और यही छोटी-छोटी बातें ज़िंदगी जीने का हौसला बढ़ाती है, यही बातें साबित करती है की आज भी लोगों के दिल में संवेदना का समुन्दर लहरा रहा है।
भले आभासी ही सही पर दोस्ती की परिभाषा को मायने देते सबने अपने अंदर इंसानियत को ज़िंदा रखा है ये सबूत है ये आभासी मंच। इसी तरह जात पात को भूलाकर निज़ी ज़िंदगी में भी सब जुड़े रहेंगे तो हमारे देश की अखंडता को कोई नहीं तोड़ पाएगा।
— भावना ठाकर

*भावना ठाकर

बेंगलोर