खुशियां हुईं बहाल
किया भरोसा जब कभी ,टूटी सारी आस,
रूठ गई फिर जिंदगी,देख मौत को पास।
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दीप जले जब आस के ,खुशियां हुईं बहाल,
मौत पखेरू उड़ चला ,तोड़ तिमिर का जाल।
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डर डर के जीना नहीं ,डर है चीज खराब ,
जो डर से आगे बढ़ा,उसको मिला गुलाब।
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जमी जमाई जिंदगी ,पल में होती ढेर ,
कोरोना के सामने ,पिटते राजा शेर।
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हारी बाजी जीत के,बने विजेता वाह,
उनका सारा हौसला,बना जिंदगी राह।