मुक्तक/दोहा

खुशियां हुईं बहाल

किया भरोसा जब कभी ,टूटी सारी आस,
रूठ गई फिर जिंदगी,देख मौत को पास।

दीप जले जब आस के ,खुशियां हुईं बहाल,
मौत पखेरू उड़ चला ,तोड़ तिमिर का जाल।

डर डर के जीना नहीं ,डर है चीज खराब ,
जो डर से आगे बढ़ा,उसको मिला गुलाब।

जमी जमाई जिंदगी ,पल में होती ढेर ,
कोरोना के सामने ,पिटते राजा शेर।

हारी बाजी जीत के,बने विजेता वाह,
उनका सारा हौसला,बना जिंदगी राह।

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328