ओ सनम
तेरी यादें इतना क्यों सताती है?
जब भी आती है मुझे रुलाती है|
तेरे साथ जिए हर लमहे को याद करके,
मेरी आंखें अनायास ही क्यों भर जाती है?
मेरी आत्मा से रूह तक, बस तेरा ही नाम है|
चाहा है तुझे इतना, जिसे कहते बेपनाह है|
ताउम्र कभी मुझे पराया मत करना,
क्योंकि तुझसे ही जीने की वजह,
और चेहरे की मुस्कान है|
तुम्हारा प्यार अनमोल है मेरे लिए,
तुम्हारा साथ अनमोल है मेरे लिए|
तेरी दूरियां भी मुझे गवारा नहीं होती,
तेरी आवाज भी अनमोल है मेरे लिए|
तेरे प्यार ने एक नई दुनिया दिखाई मुझे,
एक-एक पल कैसे बीत गया?
बात भी समझ ना आई मुझे|
एक-एक पल अब पहाड़ सा कटता है|
“रीत” को यह प्रीत भी तूने समझाई थी मुझे|
— रीता तिवारी ” रीत”