एक दिन खुशी अवश्य लौटेगी !
न दाढ़ी बनाया हूँ,
न बाल !
चाय, नाश्ता,
दूध-मिठाई छोड़ दिया हूँ,
….बावजूद मित्रो की
खोज-खबर लेता हूँ
और रचनाकर्म से जुड़ा हूँ !
कहते हैं-
कुछ न कुछ करते रहने से
और मित्रो से
संदेश आदान-प्रदान करने से
दुःख बिसरा चला जाता है ।
आप घर में बड़े हैं
और मेरे विचार से
आप में समझदारी
और सहनशक्ति काफी है।
अभी नियति
आपके पक्ष में भले नहीं हो,
किन्तु एक दिन
अवश्य आप
सभी परेशानी
और दुःख से निजात पाएंगे
और सुखी, समृद्ध
और खुशहाल होंगे !