लघुकथा

दीगर बात

शशि मंडल सिंह सिन्हा श्रीवास्तव पुरी वर्मा शर्मा खान।

मूल नाम ‘शशि’ ही है, पिता के उपनाम ‘मंडल’ है, माँ के उपनाम ‘सिंह’ है, सिन्हा तो नाना थे, श्रीवास्तव नानी थी, प्रथम पति पुरी जी, दूसरे पति वर्मा जी, तीसरे पति शर्मा जी और चौथे व वर्त्तमान पति खान साहब है।

‘शशि’ महिला है न, इसलिए उन्हें सभी उपनाम ढोने पड़ते हैं ! यह दीगर बात है-

“प्रेम तो आख़िर प्रेम होता है,
चाहे इकतरफ़ा हो, दुतरफा हो;
या पति-पत्नी या वो वाला,
या साहब, बीवी या गुलाम वाला !”

एक दिन शशि मुलाकात होती है और वे अपने नाम के साथ ‘पाल’ उपनाम भी जोड़ना चाहती है ! खैर, अब इन चीजों से निकलते हुए हमें बौद्धिकता में आने हैं….

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.