गीत/नवगीत

जिंदादिली से जीना है तो

साथ न कोई चल पाएगा, अकेले पथ पर बढ़ना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।

सुख-दुख जैसी, कोई चीज ना।
कायरता का, कहीं, पड़े बीज ना।
सबके हैं, अपने-अपने  स्वारथ,
धीरे-धीरे, तुझे पड़े, खीज ना।
साथी भले ही, साथ राह में, सावधान हो चलना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।

ना कोई अपना, ना है पराया।
मित्र दिखे, हर चेहरा मुस्काया।
विश्वास किया है, जिस पर तूने,
विश्वासघात का, अस्त्र थमाया।
आकर्षण पग-पग, जाल हैं, तुझको, उनसे बचना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।

किसी से, करनी नहीं, शिकायत।
पढ़नी नहीं, मुझे, धर्म की आयत।
ठोकर खाकर, पग-पग बढ़ना,
कर्मवीर को, शुभ हैं, सब सायत।
काम बहुत है, समय ढल रहा, समय के साथ, ढलना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)