जिंदादिली से जीना है तो
साथ न कोई चल पाएगा, अकेले पथ पर बढ़ना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।
सुख-दुख जैसी, कोई चीज ना।
कायरता का, कहीं, पड़े बीज ना।
सबके हैं, अपने-अपने स्वारथ,
धीरे-धीरे, तुझे पड़े, खीज ना।
साथी भले ही, साथ राह में, सावधान हो चलना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।
ना कोई अपना, ना है पराया।
मित्र दिखे, हर चेहरा मुस्काया।
विश्वास किया है, जिस पर तूने,
विश्वासघात का, अस्त्र थमाया।
आकर्षण पग-पग, जाल हैं, तुझको, उनसे बचना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।
किसी से, करनी नहीं, शिकायत।
पढ़नी नहीं, मुझे, धर्म की आयत।
ठोकर खाकर, पग-पग बढ़ना,
कर्मवीर को, शुभ हैं, सब सायत।
काम बहुत है, समय ढल रहा, समय के साथ, ढलना होगा।
जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।