कविता

प्राणवायु जीने का आधार

पेड़  इक लगाया  नहीं, काट  डाले हजार।
अब  पछतावा क्यों करे,दी कुदरत नें मार।
सांस  सांस को ढूंढता, नयन करें फरियाद।
अपने किये कर्मों की, पल पल आती याद।
आॉक्सीजन  को मांगता, जा जा के परदेस।
सँभल पहले ही जाता, न पड़ता यह क्लेश।
प्राणवायु  आधार  है, जीवन   का  स्वरूप।
गरीब  अती  गरीब हो, या  बलशाली  भूप।
चाहते  सभी  जिंदगी, साफ  हवा के  साथ।
पेड़ लगायें  मिल सभी, आओ  हाथों  हाथ।
पेड़  आॉक्सीजन   देते, करें   जीव   उद्धार।
है आॉक्सीजन जीव  का, जीने  का आधार।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995