पेड़ इक लगाया नहीं, काट डाले हजार।
अब पछतावा क्यों करे,दी कुदरत नें मार।
सांस सांस को ढूंढता, नयन करें फरियाद।
अपने किये कर्मों की, पल पल आती याद।
आॉक्सीजन को मांगता, जा जा के परदेस।
सँभल पहले ही जाता, न पड़ता यह क्लेश।
प्राणवायु आधार है, जीवन का स्वरूप।
गरीब अती गरीब हो, या बलशाली भूप।
चाहते सभी जिंदगी, साफ हवा के साथ।
पेड़ लगायें मिल सभी, आओ हाथों हाथ।
पेड़ आॉक्सीजन देते, करें जीव उद्धार।
है आॉक्सीजन जीव का, जीने का आधार।
— शिव सन्याल