मुख में बवासीर !
अगर किसी को हम
‘आई लव यू’ कहते हैं,
तो हम पत्नी,
मंगेतर या प्रेयसी के इतर
सोच नहीं पाते !
सोच हमारी
इतनी संकीर्ण
और
सीमित हो चुकी है !
आज के हालात में
‘जवानी’
पीकदान की तरह है,
जिनमें सब कोई
थूकयाते हैं,
फिर काहे को
जवानी ज़िंदाबाद !
यहाँ तो बीमारी जिंदाबाद
और जवानी मुर्दाबाद !
अब जो
इस बची
जिंदगी को
हँसी-मजाक लिए
जीना चाहते हैं!
वे नहीं ही आये,
जो मन में
भगंदर रोग से पीड़ित
कथित ‘समाजसेवी’ हैं
तथा जिनके मुख में
बवासीर जो हो गया है !
इसके बारे में जितना पढ़ा है,
किताबों में ही !
एक निपट
‘वर्जिनिटी’ लिए व्यक्ति
सिर्फ़ यही कह सकता है
कि जानकारी ही
इसका इलाज़ है।
चाहे जीवनसंगी हो
या जीवनसंगिनी
या हो कोई सेक्स पार्टनर
सेक्स अथवा सहवास के लिए
प्रामाणिक ‘निरोध’ जरूरी है।
वहीं अप्राकृतिक यौनाचार
खतरनाक है।
और तो और….
इतर से सम्बन्ध
व्यभिचार है,
बचिए ! बचाइये !
शादी के लिए
उम्रदराज़ होना जरूरी है,
तो यथार्थ वैज्ञानिकी में
निहित होना जरूरी है।
आइये, मिलकर इसे
सामाजिक अभियान बनाएं !
जागरूकता अभियान चलाएँ !