कष्ट सारे, छूमन्तर होते
नर-नारी मिल, साथ-साथ चल, सुख का माहोल बनाते हैं।
कष्ट सारे, छूमन्तर होते, जब, प्रेम गान मिल गाते हैं।।
साथ आए, सब चिंता छोड़ो।
दुख्खों से नाता, तुम तोड़ो।
कदम-कदम करे, मस्ती प्रतीक्षा,
सुख की ओर, मुख तुम मोड़ो।
वाद्य यंत्रों संग, मिलकर ही तो, सुर को, संगीत बनाते हैं।
कष्ट सारे, छूमन्तर होते, जब, प्रेम गान मिल गाते हैं।।
शिकवा-शिकायत भूल जाओ तुम।
प्रेम गान मिल, नित गाओ तुम।
पथ में, पग-पग पर हैं बाधा,
पार करो, और बढ़ जाओ तुम।
अलग-अलग, अकेले भटकन, मिल परिवार बनाते हैं।
कष्ट सारे, छूमन्तर होते, जब, प्रेम गान मिल गाते हैं।।
साथी के साथ, खुश रहना सीखो।
रूकना नहीं, तुम बहना सीखो।
नारी बिन नर, नीरस जीवन,
जीवन रस, पीना, पिलाना सीखो।
नर-नारी मिल, प्रेम से रहकर, घर को स्वर्ग बनाते हैं।
कष्ट सारे, छूमन्तर होते, जब, प्रेम गान मिल गाते हैं।।
मिलने से, परिवार है बनता।
टूटेगा, यदि, कोई है छलता।
विश्वास बीज है, संबन्धों का,
विश्वास से ही है, प्रेम निकलता।
विश्वासघात कर, साथ, जो चाहें, खुद को मूर्ख बनाते हैं।
कष्ट सारे, छूमन्तर होते, जब, प्रेम गान मिल गाते हैं।।