गीत/नवगीत

कष्ट सारे,  छूमन्तर होते

नर-नारी मिल, साथ-साथ चल, सुख का माहोल बनाते हैं।
कष्ट सारे,  छूमन्तर होते,  जब,  प्रेम गान मिल  गाते हैं।।

साथ आए, सब चिंता छोड़ो।
दुख्खों से नाता, तुम तोड़ो।
कदम-कदम करे, मस्ती प्रतीक्षा,
सुख की ओर, मुख तुम मोड़ो।
वाद्य यंत्रों संग, मिलकर ही तो, सुर को, संगीत  बनाते हैं।
कष्ट सारे,  छूमन्तर होते,  जब,  प्रेम गान मिल  गाते हैं।।

शिकवा-शिकायत भूल जाओ तुम।
प्रेम गान मिल, नित  गाओ तुम।
पथ में, पग-पग पर हैं  बाधा,
पार करो, और बढ़ जाओ तुम।
अलग-अलग,  अकेले भटकन,  मिल परिवार बनाते हैं।
कष्ट सारे,  छूमन्तर होते,  जब,  प्रेम गान मिल  गाते हैं।।

साथी के साथ, खुश रहना सीखो।
रूकना नहीं, तुम  बहना  सीखो।
नारी बिन नर, नीरस जीवन,
जीवन रस, पीना, पिलाना सीखो।
नर-नारी मिल, प्रेम से रहकर, घर को स्वर्ग बनाते हैं।
कष्ट सारे,  छूमन्तर होते,  जब,  प्रेम गान मिल  गाते हैं।।

मिलने से, परिवार है बनता।
टूटेगा, यदि, कोई है छलता।
विश्वास बीज है, संबन्धों का,
विश्वास से ही है, प्रेम निकलता।
विश्वासघात कर, साथ, जो चाहें, खुद को मूर्ख बनाते हैं।
कष्ट सारे,  छूमन्तर होते,  जब,  प्रेम गान मिल  गाते हैं।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)