कविता

कहनेवाले सनकी और सड़े क्यों हैं

तुम मुझे मिलो
या न मिलो !
पर तुम्हारी पल्लू का स्पर्श
मिलती रहे प्रतिदिन !
××××
मैं भी हुआ हूँ
लब-हादसे का शिकार,
सपनो के हसरतों ने
किया व्यभिचार !
××××
बहुत कोमल हैं
पँखुड़ियाँ
तुम्हारे फूल की-
पर विचारों की
भूमि तेरी;
इतनी कट्टर,
अनुर्वर क्यों है ?
××××
शादी हो या ना हो,
दीगर बात है;
पर कनखियों से
प्यार होती रहे !
××××
हर वो स्पर्श पाप है-
जो शर्त्त, शादी
या कॉन्ट्रैक्ट से
प्राप्त होते हैं !
अच्छा हूँ,
पर दिल है
कि मानता नहीं !
××××
भारत में गरीबी
‘अंध’ आस्था के
कारण है
मेरे गरीब
सगे-सम्बन्धी
कर्ज़ लेकर
आस्था को
जीवित रखे हुए हैं !
××××
मुझे मूरख,
पागल
और न जाने
क्या-क्या कहा ?
कहनेवाले भी आखिर,
सनकी
और सड़े क्यों है ?

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.