पुण्य कर्म
25वां दिन अनुपस्थिति के बाद फिर फ़ेसबुक पर आ धमका हूं । इस बीच मैं कई संकट में रहा, जो अपेक्षित नहीं था – वह हुआ ! लेकिन उस संकट को शेयर नहीं करूँगा ! क्योंकि वो मेरी पीड़ा है । इसबार ग्रीष्मावकाश पीड़ादायक और भाग-दौड़ वाला रहा । हाँ, इस बीच पुण्यकार्य भी हुए, देश के बड़े ‘गुरुद्वारा’ में शुमार एक गुरुद्वारा में मैंने ‘लंगर’ में कई दिन जूठे बर्त्तन धोने का सेवाकार्य किया…. !
बचपन से लेकर बीपीएससी की परीक्षा-तक कईबार महान कथा-सम्राट प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ पढ़ा है । आज भी दादी अम्मा अमीना और उनके पोते हमीद जैसे असली पात्र करोड़ों की संख्या में देश में है, लेकिन उनके बारे में अब भी कोई नहीं सोचते हैं….. इसबार ‘अमीना’ दादी सहित ‘हमीद’ को सहयोगार्थ ईद मुबारक !