कर्म का दोष
नसीब को क्यूँ देता है दोष
तुँ भी तो किस्मत वाला है
दोष तेरे कर्मों में दिखता है
रब तो किस्मत बाँटने वाला है
नसीब को क्यूँ देता है दोष
मंजिल तो तुम्हें भी मिलने वाला है
हाथ पाँव हिलाकर तो देखो
तुँ कब कदम बढ़ाने वाला है?
नसीब को क्यूँ देता है दोष
वो तेरी गुलामी करने वाला है
लगन की बीज मन में डालो
श्रम से नसीब फलने वाला है
नसीब को क्यूँ देता है दोष
कोरा कागज सा वो दीखने वाला है
लिख ले जो तुँ लिखना चाहता है
कातिब तुँ बन खुद लिखने वाला है
नसीब को क्यूँ देता है दोष
मंजिल कभी नहीं तुमसे रूठने वाला है
भटक गया है पथ पर तुम अभी
मंजिल तुझे नहीं बुलाने वाला है
नसीब को क्यूँ देता है दोष
नसीब तेरा अपना चाहने वाला है
पत्थर को पथ पर मत बिछाओ
ठोकर तुम्हें ही लगने वाला है
नसीब को क्यूँ देता है दोष
रब नहीं लिखने वाला है
प्रयास करने वाले को भाई
सफलता नसीब में आने वाला है ।
— उदय किशोर साह