कान्हा
मैं बाट जोऊ थारी |
तू आजा मारो सांवरियो ||
ये संसार सारो झूठों |
बस तू ही सच्चा कानूडो ||
तू द्रोपदी री लाज रखे |
ने दुखिया रो साथ निभावे ||
तू रक्षा करें प्रहलाद री प्रहलाद |
ने नरसिंह रो अवतार धारे ||
तू गोपियाँ संग रास रचावे |
ने मटकी तोड़े माखन चुरावे ||
तू गोवर्धन उंगली पर उठावे |
ने कालिया नाग पर नृत्य रचावे ||
थारी एक छवि ने तरसती |
आ मीरा सारो जीवन बितावे ||
तु सारथी भी बने अर्जुन रो |
ने रणभूमि में गीता ज्ञान सुनावे ||
तू छलिया ती मोठो छलिया |
ने संयम री मोठी वाणी ||
हे कान्हा तू सबको भाये |
लीला थारी ही अमर कहलाए ||
केवल तेरी ही रचना से से |
यह सारा जग टिमटिमाये ||
— रमिला राजपुरोहित