बाल कविता

बन्दर मामा बड़े खराब

बिल्ली चढ़ी पेड़ पर
पेड़ पर था बन्दर
बिल्ली जोर से गुर्राई
डर रही थी अंदर ही अंदर
बन्दर को जो गुस्सा आया
बिल्ली रानी को धमकाया
पूंछ से पकड़ा जोर से घुमाया
ऊपर से सीधा नीचे गिराया
बिल्ली चोट से तिलमिलाई
म्याऊं म्याऊं करके चिल्लाई
भागी घर को डर के मारे
हुई बिल्ली की जग हंसाई
बड़ों से अब नहीं लेना पंगा
समझ गई थी बिल्ली रानी
बन्दर ने तो एक ही पल में
याद दिला दी उसको नानी
घर में बच्चों को समझाया
बन्दर मामा बड़े खराब
रास्ते में मिल जाये कभी
तो जल्दी से तुम जाना भाग
— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र