बाल कविता

बाल कविता – मछली रानी

मछली रानी मुझसे बोली
बन जाओ तुम मेरी सहेली।

जल जीवन है इसे बचाओ,
इसको खाली नहीं बहाओ।

नदी सरोवर ताल तलइया,
गहरा  सागर घर है मेरा |

हम सब का है इससे नाता
जो भी मेरा वो  है तेरा |

इसमे कचरा कभी न डालो,
रखो सफाई  इसे बचालो ।

जल हम सबका जीवन दाता ,
इसका है उपकार घनेरा |

महली रानी मछली रानी
तुम तो सच में बड़ी सयानी।

लाख टके की बात बताई –
सीख मान लो सुन लो भाई।

जल जीवन है इसे बचाओ |
व्यर्थ कहीं मत इसे बहाओ।

पृथ्वी का संतुलन इसी से,
इसकी महिमा को समझाओ ।

पानी से जग में सुंदरता –
पानी से ही जीवन पलता।

मत कुरूपता इसमें लाओ,
इसे बचाओ  इसे बचाओ ।

— मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016