साथ भले ही, आए न कोई
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।
पथिक हैं हम, पथ ही साथी, पथ का साथ निभाएंगे।।
अविचल होकर पथिक को बढ़ना।
बाधा कितनी भी, सघन, न डरना।
साथ भले ही मोहक प्यारे!
राह में तुझको, नहीं ठहरना।
सुख-सुविधाओं के आकांक्षी, क्यूं कर साथ निभाएंगे।
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।।
चलना ही बस मूलमंत्र है।
नहीं है, साधन, नहीं यंत्र है।
साथी ने भी, पथ है छोड़ा,
साथ हमारे, नहीं तंत्र है।
सुविधाओं में कैद हुए तुम, हम तो अलख जगाएंगे।
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।।
धन की हमको चाह नहीं थी।
पद की भी परवाह नहीं थी।
विश्वास का संबंध था चाहा,
अपयश पर भी आह! नहीं थी।
किसी से कोई, माँग नहीं है, सबको प्रेेम लुटाएंगे।
साथ भले ही, आए न कोई, हम बढ़ते ही जाएंगे।।