ग़ज़ल
इस तरह ख्वाब में आकर न परेशान करो
प्यार आंखो से जताकर न युँ हैरान करो
रूबरू आके मेरी जान लगा लो दिल से
मेरे हमदम मेरी चाहत पे ये अहसान करो
जाम नज़रों के पिये खूब पिलाये तुमने
लड़खड़ाते है कदम साजो सामान करो
मेरी चाहत तेरी खुशबू से महक जायेगी
हाय चाहत से सनम मुझको निग़हबान करो
इश्क पूजा है’मृदुल’रब की इबादत ये है
इश्क आबाद हो ऐसा चलो सामान करो
— मंजूषा श्रीवास्तव