गूंज शब्दों की
गूंज शब्दों की
या
अनकही बातों की
जब तक
दिल तक ना पँहुचे
तब तक
कुछ कहना
या चुप रहना
अर्थहीन हो जाता है
इसलिए
दिल की बात
दिल से कहो
दिल से सुनो
और
जब धड़कनें
कानों तक पँहुचने लगें
तब
बस
मुस्कुरा देना
मैं समझ जाऊंगी
— नमिता राकेश