तीन महारथियों को श्रद्धांजलि
पंजाब में जन्मी और दिल्ली की सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रही
मैडम शीला दीक्षित की दूसरी पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि, तो गीतकार ‘नीरज’ की तीसरी पुण्यतिथि पर उन्हें सादर श्रद्धांजलि !
कवि-गीतकार गोपालदास नीरज, जिनके साथ कभी मैंने भी किया था ‘काव्य-पाठ’…… पद्मश्री, फिर पद्मभूषण गोपाल दास ‘नीरज’ 19 जुलाई 2018 को इस दुनिया से कूच कर गए।
कुछ इस अंदाज में… ‘ए भाई, जरा देखके चलो… आगे भी, पीछे भी, बायें भी, दायें भी…’ अलविदा कवि सम्राट … बकौल नीरज-
“न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ,
कि इतनी सी बस ये बात है;
किसी की आँख खुल गई
किसी को नींद आ गई ।”
बिल्कुल अपने अंदाज़ के कवि, शायर और फिल्मी गीतकार नीरज जी 94 साल तक पृथ्वीवाली जिंदगी में रहे । पटना पुस्तक मेला में मैंने कभी दादा नीरज के साथ मंच साझा किया था तथा कविता-पाठ किया था । वे अस्थमा से पीड़ित थे, बावजूद भौतिक शरीर को 94 वर्ष से ऊपर लेकर गए। आज दादाजी की तीसरी पुण्यतिथि है । शत -शत नमन और सादर श्रद्धांजलि !
संस्कृत विद्वान पं. काशीनाथ मिश्र की पुण्यतिथि पर नमन ! 18 जुलाई को संस्कृत के विद्वान तथा कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पं. काशीनाथ मिश्र का निधन भी 95 वर्ष की आयु में हो गया, 19 जुलाई को स्व. मिश्र का अंतिम संस्कार वाराणसी में किया गया।
उनके द्वारा लिखा गया ‘संस्कृत व्याकरण’ काफी प्रसिद्धि प्राप्त किया है। यह पुस्तक भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ-साथ एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के सिलेबस में भी सम्मिलित है। पं. काशीनाथ मिश्र मेरे सहकर्मी व्याख्याता श्रीमती सिद्धि मिश्र के नानाजी थे । पं. मिश्र से सम्बंधित जानकारी उन्हीं से प्राप्त हो पाई है। यह अपूरणीय क्षति है। परमशक्ति इन दोनों महान व्यक्तित्वों को आत्मिक शांति प्रदान करेंगे, सादर श्रद्धांजलि!