वतन की आन तिरंगा और ये शान तिरंगा है,
मेरे दिल में बसा रहता, मेरा अरमान तिरंगा है !
कि सरहद पर मिटें सैनिक जिसकी मुहब्बत में
वही सम्मान है और मुल्क की पहचान तिरंगा है !
बचाकर के बुरी नजरों से भी जिसे रखा हमने
वो हिंदुस्तान का ही खूब- सा पहचान तिरंगा है !
फहरता जाए सदियों तक ,गगन चूमे सदा यूँहीं
हैं करते गर्व जिसपे हम नमन वो आन तिरंगा है!
सदाएँ दे रहा आजादी के उस जश्न का मानो
भरे उत्साह हर दिल में , वही तूफान तिरंगा है!
है भगवा रंग वीरों का , श्वेत है शाँति का प्रतीक
हरा सम्पूर्णता का ,चक्र समय का ध्यान तिरंगा है!
ज़रा तुम गौर फरमाना, कभी फुर्सत मिले तुमको
कि आज के दौर में कितना लहुलूहान तिरंगा है!
कहीं भी देख लो चाहे सलामी दे , नमन कर लो
कि अहसास ए सुखन निज देश का ये मान तिरंगा है!
चलो हम आज अपने देश खातिर तो जागें शीघ्र
कि खुश हों राष्ट्र – महा पर्व का आख्यान तिरंगा है!
बडा़ ही गर्व है , अभिमान है , .हमको वतन पर यूँ
सहज , सार्थक से रंगों में ये इक उपमान तिरंगा है!
रहे खुशहाल , औ समृद्ध हरदम देश ये मेरा
भले कुर्बान हो मैं जाऊँ , तू ही सम्मान तिरंगा है !
— सीमा शर्मा सरोज