गीतिका/ग़ज़ल

प्रेम के गीत

बांसुरी प्रेम के गीत गाती रही,
सांवरे आपकी याद आती रही।
नाम तेरा मुझे भा गया मोहना,
गीत तेरे ही मैं गुनगननाती रही।
प्रीति में डूबकर बावरी हो गई,
तीर यमुना केे मैं आती जाती रही।
द्वारिका छोड़कर कृष्ण आ जाइए,
प्रेम से  आपको मैं बुलाती रही।
भाव से हूँ भरी जानते आप हो,
नैन भी आपसे ही चुराती रही।
ज्ञान की बात आती नहीं है समझ,
प्रेम की ज्योति दिल में जलाती रही।
गीत बनते सदा आपसे  साँवरे,
गीत  गाती रही औ लुभाती रही।
बात वीनू सुनो आ रही है खबर,
श्याम को प्रीति तेरी लुभाती रही।

— वीनू शर्मा

वीनू शर्मा

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