ग़ज़ल
बड़ी कठिन है जिंदगी की राहें
इन रास्तों पर गुम हो जाने का डर है।
मिल जाए अगर तुम-सा कोई हमसफ़र
तो इन रास्तों पर चलने का मन है।
इन बिखरी तन्हाइयों में घुल जाए शहनाई की धुन
ऐसे मंजर में खो जाने का मन है।
तुम चाहे कोई साज भी न छेड़ो
मगर तुम्हारे साथ गुनगुनाने का मन है।
तुम्हारा साथ चाहे लम्हे भर का ही हो
उन लम्हों में सदियां गुजारने का मन है।
— विभा कुमारी “नीरजा”