सरस्वती वंदना
हे मात सरस्वती आय विराजो मेरे कंठन में
करुणा करके मां आज विराजो मेरे कंठन में-
1.तुम हो विद्यादायिनि देवी माता
हम सबकी हो भाग्य-विधाता
विद्या देने आय विराजो मेरे कंठन में-
2.तुम हो ज्ञानदायिनि दाती
शुभ्र ज्ञान की दे शुभ पाती
ज्ञान की जोत जलाय विराजो मेरे कंठन में-
3.शुभ्रवसनधारी कल्याणी
कमल का आसन मां वरदानी
कमल-सा जग महकाय विराजो मेरे कंठन में-
4.शशि-सी चमके मोती-माला
रवि सम जग दमकाए सारा
वीणा की ले झनकार विराजो मेरे कंठन में-
5.कंठ मधुर हो ऐसा वर दो
शब्द मधुर भावों से भर दो
मधुरिम हो संसार विराजो मेरे कंठन में-
(तर्ज़-कितना प्यारा है मां तेरा दरबार, मैय्याजी तेरी जय होवे———–)
वसंत पंचमी का त्योहार पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग विद्या की देवी मां सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा करते हैं. पीले कपड़े पहनकर इस दिन मां सरस्वती को पीले चीजों का भोग लगाया जाता है. मां सरस्वती की पूजा का आयोजन खासतौर पर बच्चे और विद्यार्थी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.