मुक्तक/दोहा

दोहे

जिन्हे  बांटनी थी  यहां , सरकारी खैरात
मिल जुल कर सब खा गये,आवंटित सौगात
हकदारो  को दे  दिया ,  ठेगें से सम्मान
ऊपर से पहुंचा नही,नीचे तक अनुदान
यहां वहां सब फेकते, घर का कूड़ा गन्ध
स्वच्छता को भूल गये,साफ सफाई बन्द
इक बारिश ने खोल दी,नगर निगम की पोल
नदियों सी लागे सड़क, दिखे न गड्डे होल
कल ही बन तैयार की,बूंदे बरसी आज
सड़क टूट के कह रही,देखो कैसा काज
दीन हीन हालत लिए,फिरते यहां किसान
अन्नदाता के स्वयं के,रिक्त पड़े खलिहान
— शालिनी शर्मा

शालिनी शर्मा

पिता का नाम-स्वर्गीय मथुरा प्रसाद दीक्षित माता का नाम -श्रीमती ममता दीक्षित पति का नाम-श्री अनिल कुमार शर्मा वर्तमान स्थायी पता- केऐ-16 कर्पूरी पुरम गाजियाबाद फोन न0- 9871631138 जन्म एंव जन्म स्थान-09.04.1969, परीक्षित गढ़ गाजियाबाद उप्र शिक्षा एवं व्यवसाय-बीएससी बीएड़,अध्यापिका व सहायक NCC आफिसर (13 यूपी गर्ल्स बटालियन) प्रकाशित रचनाएं एवं विवरण-अमर उजाला काव्य में 48 रचनायें प्रकाशित, विभिन्न पत्रिकाओं में रोज रजनाएं प्रकाशित होती हैं,दो तीन सम्मान प्राप्त