हँसी ठिठोली
जोरा जोरी
मस्ती अठखेली
सब चलेगी
जब उड़ेगा रंग
गुलाल का
जब चढ़ेगा नशा
भांग का
जब फूटेंगे गुब्बारे
जब उड़ेगी खुश्बू
इमरती गुजिया की
जब मन भरमाएँगे
पकौड़े, चाट, दही भल्ले
होगी फूल ऑन मस्ती
सरोबर रंग, मस्ती, मिलन
हँसी , ठिठोली से
सब उठेंगे झूम
हँसते, खिल खिलाते
भूल शिकवे गीले गम सारे
देखो न छूटेंगे पिचकारी से
यूँ रंग प्यार के
जो कर देंगे सरोबर तन मन
दुलार से
देखो न आई होली
लेकर न सिर्फ रंग
लायी है अपनों का साथ
हँसी खुशी प्यार भरी
मनुहार ,मनमानी,ठिठोली
बस उड़ेगा रंग
लाल , पीला, हरा, गुलाबी
बनाता सबको अपना
न कोई रंजिश
न कोई शिकायत
बस खुशियों की होली
चुराती हर आँसूं
हर दुख का बुलबुला
तोड़ती हर तन्हाई
बस खुशियों की होली
लुटाती हँसी ठिठोली
प्यार साथ अपनापन।।
— मीनाक्षी सुकुमारन