कविता

होली

हँसी ठिठोली
जोरा जोरी
मस्ती अठखेली
सब चलेगी
जब उड़ेगा रंग
गुलाल का
जब चढ़ेगा नशा
भांग का
जब फूटेंगे गुब्बारे
जब उड़ेगी खुश्बू
इमरती गुजिया की
जब मन भरमाएँगे
पकौड़े, चाट, दही भल्ले
होगी फूल ऑन मस्ती
सरोबर रंग, मस्ती, मिलन
हँसी , ठिठोली से
सब उठेंगे झूम
हँसते, खिल खिलाते
भूल शिकवे गीले गम सारे
देखो न छूटेंगे पिचकारी से
यूँ रंग प्यार के
जो कर देंगे सरोबर तन मन
दुलार से
देखो न आई होली
लेकर न सिर्फ रंग
लायी है अपनों का साथ
हँसी खुशी प्यार भरी
मनुहार ,मनमानी,ठिठोली
बस उड़ेगा रंग
लाल , पीला, हरा, गुलाबी
बनाता सबको अपना
न कोई रंजिश
न कोई शिकायत
बस खुशियों की होली
चुराती हर आँसूं
हर दुख का बुलबुला
तोड़ती हर तन्हाई
बस खुशियों की होली
लुटाती हँसी ठिठोली
प्यार साथ अपनापन।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |