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भारत में सर्व शिक्षा अभियान की प्रतिबद्धता

सर्व शिक्षा अभियान (SSA) की अवधारणा भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, यथा संशोधित नीति 1992 तथा कार्यक्रम क्रियान्वयन परियोजना 1992 के अन्तर्गत प्राथमिक शिक्षा अर्थात कक्षा अष्टम तक की शिक्षा को सर्वजन सुलभ करने की राष्ट्रीय वचनबद्धता की फिर से पुष्टि करती है। उच्च कोटि की प्राथमिक शिक्षा में अभिवृद्धि एवं व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु विश्व बैंक समर्थित बेसिक शिक्षा परियोजना 1993 से स्वीकृत और क्रियान्वित की गई।

सर्व शिक्षा अभियान एक ऐसा कार्यक्रम है, जो निश्चित कालावधि के अंदर प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार के द्वारा कृतसंकल्पित है। भारतीय संविधान के 86 वें संविधान संशोधन द्वारा 6 से 14 आयु वर्ष वाले बच्चों के लिए, प्राथमिक शिक्षा को एक मौलिक अधिकार के रूप में, निःशुल्क और अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने को अनिवार्य कर दिया गया है। भारत में सर्व शिक्षा अभियान का क्रियान्‍वयन साल 2000-2001 से किया जा रहा है, जिसका उद्देश्‍य सार्वभौमिक सुलभता, प्रारंभिक शिक्षा में बालक-बालिका एवं सामाजिक श्रेणी के अंतरों को दूर करने तथा अधिगम की गुणवत्‍ता में सुधार हेतु विविध बातों के साथ-साथ नए स्‍कूल खोला जाना तथा वैकल्पिक स्‍कूली सुविधाएं प्रदान करना, स्‍कूलों और अतिरिक्‍त वर्गकक्षों का निर्माण किया जाना, प्रसाधन-कक्ष एवं पेयजल सुविधा प्रदान करना, अध्‍यापकों का प्रावधान करना, नियमित अध्‍यापकों का सेवाकालीन प्रशिक्षण तथा अकादमिक संसाधन सहायता, नि:शुल्‍क पाठ्य-पुस्‍तकें, वर्दियां तथा परिणामों में सुधार हेतु सहायता प्रदान करना शामिल है।

भारत में सर्व शिक्षा अभियान पूरे देश में राज्य सरकार की सहभागिता से चलाया जा रहा है, ताकि देश के 11 लाख गाँवों के लगभग 20 लाख बच्चों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इस कार्यक्रम के अंतर्गत वैसे गाँवों में जहाँ अभी भी स्कूली सुविधा नहीं है, वहाँ नये स्कूल खोलना और पहले से स्थापित स्कूलों में अध्ययन कक्ष, शौचालय, पीने का पानी, मरम्मत निधि, स्कूल सुधार निधि प्रदान कर उसे सशक्त बनाये जाने की भी योजना है। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्तमान में कार्यरत वैसे स्कूल जहाँ शिक्षकों की संख्या मानक औसत से कम है, वहाँ अतिरिक्त शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी और कार्यरत शिक्षकों को गहन प्रशिक्षण प्रदान कर, शिक्षण-प्रवीणता सामग्री के विकास के लिए निधि प्रदान की जाएगी तथा टोला, मोहल्ला, प्रखंड, जिला स्तर पर अकादमिक संरचना को मजबूत किया जाएगा।

सर्व शिक्षा अभियान जीवन-कौशल के साथ-साथ गुणवत्तापरक प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने की इच्छा रखता है। सर्व शिक्षा अभियान का बालिका शिक्षा और जरूरतमंद बच्चों पर खास जोर है। साथ ही सर्व शिक्षा अभियान का देश में व्याप्त डिजिटल दूरी को समाप्त करने के लिए कंप्यूटरीकृत शिक्षा प्रदान करने की भी योजना है।

विकिपीडिया के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत नागरिक बुनियादी सुविधाओं का विकास और सुधार सहित इनमें कक्षा निर्माण, पानी की सुविधा, परिसर की दीवार, स्वच्छ कमरे, साफ दीवार, विद्युतीकरण और मौजूदा सुविधा का पुनर्निर्माण शामिल हैं। स्थानीय सरकारी निकायों और पैरेंट टीचर्स एसोसिएशन की मदद से सिविल निर्माण कार्य किए जाते हैं। सर्व शिक्षा अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के मूल में बुनियादी सुविधाओं में सुधार करने को महत्वपूर्ण मानता है। विद्यालय की सुविधा सुधार के अलावा, मौजूदा स्कूल सुविधाओं के नज़दीक ही सीआरसी यानी क्लस्टर रिसोर्स सेंटर और बीआरसी यानी ब्लॉक रिसोर्स सेंटर का निर्माण किया जाता है।

ध्यातव्य है, शिक्षक प्रशिक्षण की अवस्थिति सर्व शिक्षा अभियान की प्रमुख पहल है। प्राथमिक शिक्षकों को शिक्षा पद्धति, बाल मनोविज्ञान, शिक्षा, मूल्यांकन पद्धति और अभिभावक प्रशिक्षण पर सतत शिक्षक प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण को प्राथमिक शिक्षकों के चयनित शिक्षक समूह को दी जाती है जिसे बाद में संसाधन व्यक्ति कहा जाता है। शिक्षक प्रशिक्षण के पीछे प्रमुख विचार शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया के नए विकासक्रम के साथ शिक्षकों को अद्यतन करना है। ‘सब पढ़े, सब बढ़े’ इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण पंचलाइन है। वर्ष 2004 से इसी अभियान के अंतर्गत कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत हुई थी।

विश्व बैंक अथवा आईबीआरडी के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान बुनियादी तौर पर सरकार द्वारा चलाया जाने वाला कार्यक्रम है, जिसे आईडीए तथा अन्य डोनर्स द्वारा सहायता दी जा रही है। आईडीए अकेला सबसे बड़ा डोनर है। आईडीए  की एसएसए -I परियोजना ने कार्यक्रम की 3.5 अरब अमरीकी डॉलर की कुल लागत में 50 करोड़ अमरीकी डॉलर का अंशदान किया। मई 2008 में एसएसए -I परियोजना को स्वीकृत किया गया, जिसके लिए आईडीए ने 60 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराने का वचन दिया। इस परियोजना पर कुल लागत लगभग 7.2 अरब अमरीकी डॉलर बैठेगी। मार्च 2010 में एसएसए -I परियोजना को और दो वर्ष बढ़ाने के भारत सरकार के निर्णय के बाद वर्ष 2010-12 के लिए आईडीए द्वारा 75 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की गई, जो जून 2010 से प्रभावी हुई। वित्त सुलभ कराने के साथ-साथ आईडीए के विशेषज्ञों ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के बारे में अन्य दूसरे देशों में किए गए कार्यों तथा विश्वस्तर पर किए गए संबंधित शोधकार्यों के परिणाम मुहैया कराते हुए संपूर्ण एसएसए कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया।

भारत के एसएसए कार्यक्रम का आईडीए, यूरोपीय आयोग तथा यूनाइटेड किंग्डम के डिपार्टमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट द्वारा क्षेत्रवार दृष्टिकोण के आधार पर सम्मिलित रूप से समर्थन किया जा रहा है। पहले चरण के कार्यक्रम में, जबकि भारत की केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों ने लगभग 2.5 अरब अमरीकी डॉलर की धनराशि का अंशदान किया, ईसी और डीएफ़आईडी ने मिलकर 50 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक धनराशि मुहैया कराई। कार्यक्रम के दूसरे चरण में भारत सरकार ने 6 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक का निवेश किया, ईसी और डीएफ़आईडी ने मिलकर 40 करोड़ अमरीकी डॉलर का अंशदान किया।

एसएसए ने प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के क्षेत्र में भारी प्रगति की है, अब स्कूल न जाने वाले शेष 81 लाख बच्चों को स्कूलों में लाने, मिडिल स्कूली शिक्षा सुविधाओं को बढ़ावा देने तथा पढ़ाई के परिणामों में और सुधार करने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई बीच में छोड़ देने वालों की औसत दर पिछले कुछ वर्षों से लगभग 9 प्रतिशत के आस-पास बनी हुई है। उपेक्षित समुदायों की स्कूल जाने वाली पहली पीढ़ी और बच्चों को स्कूल में बनाए रखना आखिरी चुनौती बना हुआ है। काफी बड़ी संख्या में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों को देखते हुए सेकंडरी स्कूलों की संख्या तुरंत बढ़ाने साथ-साथ इनकी गुणवत्ता बढ़ाने की ज़रूरत है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.