भाषा-साहित्य

‘ये’ और ‘वो’

ये दो ऐसे शब्द हैं, जिनका प्रयोग हिन्दी भाषी लोग बोलचाल ही नहीं, लेखन में भी धड़ल्ले से करते हैं और वह भी गलत रूप में। ‘जय विजय’ का सम्पादक होने के कारण मुझे विभिन्न रचनाओं में ऐसी बहुत सी गलतियों को ठीक करना पड़ता है और इसमें मेरा बहुत समय नष्ट हो जाता है। इसलिए मैं यहाँ इन शब्दों का सही रूप और प्रयोग बता रहा हूँ।

सबसे पहले ‘ये’ को लीजिए। यह एक बहुवचन का शब्द है, जिसका प्रयोग निकट की अनेक वस्तुओं के लिए किया जाता है। यह अंग्रेजी शब्द ‘These’ का पर्यायवाची है। इसका एकवचनी शब्द ‘यह’ होता है, जो निकट की एक वस्तु के लिए प्रयोग किया जाता है। यह अंग्रेजी शब्द ‘This’ का पर्यायवाची है। लेकिन घोर आश्चर्य है कि अधिकांश व्यक्ति और धुरन्धर लेखक तक इनका एकदम उल्टा ही उपयोग करते हैं अर्थात् एकवचन के लिए ‘ये’ और बहुवचन के लिए ‘यह’ लिखते या बोलते हैं।

दूसरा शब्द है- ‘वो’। वास्तव में हिन्दी में ऐसा कोई शब्द है ही नहीं। इसका निकटतम एकवचनी शब्द है ‘वह’, जो दूर की एक वस्तु के लिए प्रयोग होता है। यह अंग्रेजी शब्द ‘He’ या ‘That’ का पर्यायवाची है। इसका बहुवचनी रूप है ‘वे’, जो दूर की अनेक वस्तुओं के लिए प्रयोग होता है। यह अंग्रेजी शब्द ‘They’ और ‘Those’ का पर्यायवाची है।

आशा है कि आगे से कम से कम ‘जय विजय’ के रचनाकार इन शब्दों का सही उपयोग करेंगे। इनके अंग्रेजी शब्द इसलिए दिये हैं कि उनको कोई भ्रम न हो। फिर भी यदि किसी को कोई भ्रम हो, तो मैं उसे दूर करने को तैयार हूँ।

— डॉ. विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com