प्रेमी तो बस प्रेम बाँटता
प्रेम नाम होते हैं सौदे, प्रेम नहीं वहाँ बान है।
प्रेमी तो बस प्रेम बाँटता, प्रेम ही उसकी जान है।।
प्रेम समर्पण, प्रेम है पूजा।
प्रेम में नहीं कोई होता दूजा।
मान मनोवल तो चलता है,
आपा होम कर होती पूजा।
प्रेम में कोई माँग न होती, ना होता अभिमान है।
प्रेमी तो बस प्रेम बाँटता, प्रेम ही उसकी जान है।।
प्रेम नहीं है कभी बाँधता।
प्रेम नहीं धन है जाँचता।
प्रेम कभी प्रतिशोध न लेता,
प्रेम देकर है प्रेम बाँचता।
प्रेम में कभी नफरत ना होती, प्रेम के ही बस गान हैैं।
प्रेमी तो बस प्रेम बाँटता, प्रेम ही उसकी जान है।।
अधिकारों की जंग नहीं है।
कानूनों का भंग नहीं है।
अधिकारों का संघर्ष जहाँ है,
कुछ भी हो पर प्रेम नहीं है।
प्रेम नाम है कपट जहाँ, प्रेम का नहीं वहाँ मान है।
प्रेमी तो बस प्रेम बाँटता, प्रेम ही उसकी जान है।।