कविता

माँ तेरी ऑचल

माँ तेरी ऑचल में ममता की है दरबार
तेरी चरणों में है माता अपना अमूल्य संसार
हाथ अपनी जब रख देती है मेरे सर पे
भूल जाता हूँ गम का हर तार
खिसक जाती है पीड़ा तन से
तेरी जब मिल जाता है माँ का प्यार
अपनी कोख से जन्म दिया है
माँ तुम ममता भी हमें देना
खुद भूखा ना रहना हमें भी भोजन तुँ देना
तेरी ममता जग से प्यारा
तेरी ममत्व जब पाता हूँ
तेरी ही शरण में माता सुखमय जीवन पाता हूँ
तेरी भक्ति और पूजा में
काबा कासी पाता हूँ
तेरी आँचल में मैं माता जीवन का दर्शन पाता हूँ
खुद जमीन पर लेट कर हमको
मखमल की बिछावन भेंट किया
अपनी सीने की दूध पिलाकर
मुझे तुम इतना वीर किया
तेरी कर्ज चुकाऊँ कैसे
तेरी कर्ज का मैं कर्जदार
तेरी सेवा कर मैं पाऊँ
इस जग में करके उपकार

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088