मुक्तक/दोहा

दोहे

मैं नदिया के तट खड़ी,लिये नयन में नीर।
नदिया बोली मैं कहूँ,किससे अपनी पीर।।
पथ पथरीला है कठिन,करती नदिया पार।
सागर से मिलने चली,प्रेम नहीं व्यापार।।
लहर ,लहर से कह रही,किस से करें गुहार।
सागर ऐसा बावरा,समझे ना री प्यार।।
हूँ मैं सीप समुंद की,हृदय बसी है प्यास।
प्रेम प्रतीक्षा है प्रबल,स्वाति बूँद की आस ।।
नयन सीप से झर रही,नेह स्वाति की बूँद।
नयन ,नयन से कह रहे ,नयना ले अब मूँद।।
मौसम मन पर लिख गया,अगवानी के गीत।
रही रागिनी घोलती,मीठे स्वर में प्रीत।।
ढूँढ़े से ना यह मिले,प्रेम सुगन्ध समान।
प्रेम निमिष संयोग है,प्रेम नहीं अनुमान।।
सभी बखाने बस यहाँ,अपनी अपनी पीर।
दुनिया के दुःख जो दुखी,सच्चा वही कबीर।
मौसम की बदमाशियाँ, निशि -दिन के उत्पात।
कभी प्रेम से तर करे,कभी विरह का घात।।
डूब -डूब कर डूबती,सागर प्रेम अथाह।
लहर -लहर तन खो गया,खुद ही खुद से ब्याह।।
— रागिनी स्वर्णकार शर्मा

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा)

1- रचनाकार का पूरा नाम- श्रीमती रागिनी स्वर्णकार (शर्मा) 2- पिता का नाम-श्री पूरन चंद सोनी 3- माता का नाम -श्रीमती पार्वती 4- पति / पत्नी का नाम- श्री अरुण शर्मा 5- वर्तमान/स्थायी पता -डायमंड रेजीडेंसी, a सेक्टर सिलिकॉन सिटी राऊ ,इंदौर ,जिला-इंदौर मध्यप्रदेश 6- फोन नं/वाट्स एप नं. - 9754835741 7- जन्म / जन्म स्थान-बेगमगंज ,जिला- रायसेन जन्मतिथि 01,/05/1970 8- शिक्षा /व्यवसाय- बी.एस-सी.,एम .ए.(हिंदी,इंग्लिश) एम.एड. 9- प्रकाशित रचनाओं की संख्या-- 300 रचनाएँ प्रकाशित 10- प्रकाशित रचनाओं का विवरण । (लगभग 300 रचनाएँ समाचार पत्र ,संचार एक्सप्रेस ,निशात टाईम्स ,रीडर एक्सप्रेस भोपाल, लोकजंग भोपाल,दैनिक भास्कर भोपाल,देशबन्धु भोपाल ,से प्रकाशित हो चुकी हैं ) संकल्प शालेय पत्रिका का 7 वर्ष से सम्पादन